टिहरी की संघर्ष यात्रा- दो “विरोध में भी महिलाएं आगे”
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार* 3 नवम्बर 2020
नई टिहरी। बांध विस्थापितों के पुनर्वास का जिम्मा टीएचडीसी को सौंपे जाने के बाद पुनर्वास निदेशालय के कर्मचारी पैदल हो गए थे। टीएचडीसी मूलतः बांध निर्माण एजेंसी है। इसकी स्थापना में राजनीति,भाई भतीजावाद का बोलबाला तो था अनिश्चितता की स्थिति भी थी। केंद्र के अनुकूल सरकार और खास तौर पर पर्यावरणवादी मेनका गांधी के मंत्री बनने के शुभ अवसर पर चिपको नेता सुंदरलाल बहुगुणा ने टिहरी बांध के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया था। बहुगुणा जी पहले कभी टिहरी बांध के इंजीनियरों को आधुनिक भागीरथ मानते थे।
बरहाल गंगा मां की रक्षा की लड़ाई में तब भी महिलाएं अग्रिम मोर्चे पर थी। बेशक कुसुम दीदी जैसी पुरस्कार आकांक्षा से रहित।