नव संवत्सर स्वागत तुम्हारा
*डॉ. सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी*
गढ़ निनाद समाचार।
संवत बीसा सौ अठहत्तर ,
आ रहा है हम सबके घर ।
राक्षस नाम है संवत्सर का ,
राजा – मंत्री मंगल जिसका ।
करें सभी स्वागत उसका ,
चैत्र नवरात्र प्रवेश जिसका ।
उत्सव रूप में इसे मनाएं ,
खुशी बाँटने घर – घर जाएं ।
चैत्र प्रतिपदा धरती उत्पन्न ,
विक्रमादित्य तिलक संपन्न ।
नवमी तिथि को राम जन्में ,
सुविचार रहे जिनके मन मे ।
आर्य समाज हुआ स्थापित ,
चाहा था सरस्वतीजी ने हित ।
देखो तो प्रकृति भी मतवाली ,
फल-फूलों से लदकद डाली ।
सर्वत्र बासंती रंग है छाया ,
देखो तो यह विचित्र माया ।
दिन में सूरज रात चाँद सितारे ,
लगते हैं सबके सब प्यारे ।