प्रख्यात पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा के निधन को संतों ने बताया अपूरणीय क्षति, दी भावभीनी श्रद्धांजलि
देहरादून, 22 मई 2021। गढ़ निनाद ब्यूरो।
प्रख्यात पर्यावरणविद् सुंदर लाल बहुगुणा के निधन पर नृसिंह वाटिका आश्रम रायवाला खांड गांव नम्बर एक में वर्चुअल श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें संतों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।
इस अवसर पर नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि-
” क्या है जंगल के अधिकार
मिट्टी पानी और बयार
मिट्टी पानी और बयार,
जिंदा रहने के अधिकार
पेड़ो पर हथियार उठेंगे
हम भी उनके साथ कटेंगे ।। “
पहाड़ में गौरा देवी के बाद किसी ने इन नारों से आत्मसात कर उन्हें जिंदा रखकर प्रकृति की सेवा की तो वो निसन्देह श्री सुंदर लाल बहुगुणा ही थे । वो उत्तराखंड ही नहीं विश्व की एक महान विभूति थी जो चिपको आंदोलन के प्रणेता रहे जिन्हें पर्यावरण के लिए पद्मश्री (इसे बहुगुणा ने नहीं लिया) जमनालाल बजाज पुरस्कार, राइट लाइवलीहुड अवार्ड,आईआईटी रुड़की द्वारा डीएससी की मानद उपाधि , वर्ष 2009 पद्मविभूषण इसके अलावा राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, शेरे कश्मीर अवार्ड, विश्वभारती, विवि शांतिनिकेतन की डाकटरेट की मानद उपाधि जैसे कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित ,विश्व विख्यात पर्यावरणविद श्री सुंदर लाल बहुगुणा जी का निधन समूचे देश के लिए अपूरणीय क्षति है।
जीवन पर्यंत पर्यावरण के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले श्री बहुगुणा हिमालय के एक सजग पहरी थे। उनके द्वारा पर्यावरण संरक्षण को लेकर लिखी गई पुस्तक “धरती की पुकार” पढ़ने योग्य है जिसे आज बची खुची प्राकृतिक आक्सीजन में हमें जल्द पढ़कर उसका अनुसरण कर लेना चाहिए ताकि हम भविष्य के लिए पर्याप्त प्राकृतिक आक्सीजन की व्यवस्था कर सके ।
इस महान विभूति के निधन से हम ,हमारे जंगलों, हमारे हिमालय,और पर्यावरण की अपूर्ण क्षति हुई है। हम स्वर्गीय श्री बहुगुणा जी की स्मृति को चिरस्थाई रखने के लिए वृक्षों से मित्रता करें । अलविदा हिमालय पुत्र इस दूषित वायुमंडल से बैकुंठ के आलोक वायुमंडल में आपको चिरनिद्रा मिले ।
मैं भगवान नृसिंह देवता और बद्रीनाथ जी के चरणों में प्रार्थना करता हूं कि वे आपकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को इस असहनीय दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें । ऊं शांति ……।
भागवत भूषण दीनदयालु महाराज ने वर्चुअल माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि विश्व प्रसिद्ध अंतराष्ट्रीय पर्यावरणविद् समाजसेवी सुंदरलाल बहुगुणा जी का 94 वर्ष की उम्र में एम्स ऋषिकेश में निधन हुआ।कोरोना से पीड़ित थे।आपका गाँव सिलयारा केमर में आश्रम है जिसका संचालन आपके द्वारा होता रहा है। चिपको आंदोलन से विश्व भर में वृक्ष मित्र के नाम से प्रसिद्ध हुए थे सुंदरलाल बहुगुणा। पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए कश्मीर से कोहिमा तक एवं गंगा की स्वच्छता के लिए गौमुख से गंगासागर तक की यात्रा करने वाले प्रख्यात पर्यावरणविद्, चिपको आंदोलन को गति प्रदान करने वाले वृक्षमित्र, स्वतंत्रता सेनानी, समानता के मूल्यों पर आधारित सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले हिमालयपुत्र श्री सुन्दरलाल बहुगुणा का स्थूल शरीर आज प्रकृति में लीन हो गया।
आप पर्यावरणीय चेतना के रूप में सदैव जीवित रहेंगे। माँ गंगा आपको अपने श्रीचरणों में स्थान दे और शोकाकुल परिवार एवं अनुयायियों को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे। ॐ शांति शांति शांतिः।
इस अवसर पर बिहार से संत वैष्णवी देवी , कलकत्ता से काली माता मंदिर के परमाध्यक्ष स्वामी स्वयमानंद गिरी , पटियाला पंजाब से मोहनदास महाराज , देहरादून से निश्चलानंद सरस्वती , बद्रीनाथ धाम से योगेन्द्र नारायण सरस्वती एवं बड़ी संख्या में देश विदेश से संत महात्माओं ने वर्चुअल श्रद्धांजलि सभा में भाग लिया ।