बुधू
नमस्कार मित्रों आपका बुधू सही सलामत लौट आया है। नहीं, कोरोना बुधू के पास नहीं आया था। बुधू पहले ही बाबा जी की इम्युनिटी बूटी चूस चुका है। करोना तो क्या करोना का बाप भी बुधू को नहीं छू सकता। मैं अपने तमाम शुभचिंतकों के लिए बाबा जी की बूटी लाने की जुगाड़ में था। बाबा जी की चैरिटी फ्री में तो नहीं मिलती।
उधर से हैंकारे-जैंकारे के साथ दिल्ली से इम्युनिटी बूटी जैकेटधारी विशाल सेना पश्चिम बंगाल विजय के लिए चली थी। महानायक तो युद्ध शुरू होने से पहले ही बता चुके थे कि वह बांग्लादेश की मुक्ति के लिए सत्याग्रह कर चुके हैं। अब की बार बंगाल की बारी है। औसत एहसान फरामोश भारतीयों की तरह बुधू को भी इतिहास बोध पर शंका हुई। पश्चिम बंगाल तो भारत में है। लेकिन बाबा जी की चमत्कारी बूटी और अगड़म बगड़म भक्त सेना के मुखिया के जैंकारे ने बुधू की बुद्धि को भ्रष्ट नहीं होने दिया, सो उड़ चला बंगाल।
क्या भीषण संग्राम था। दोनों तरफ गजब की इम्यूनिटी । उस तरफ राममोहन राय,ईश्वर चंद्र, नेताजी, बंकिमचंद्र और सुभाष बाबू की मिट्टी की इम्यूनिटी। इधर बाबा से लेकर ट्रंप तक से मिली इम्यूनिटी खेला होबे! ऐसा होबे कि….।
थकान उतार कर बुधू देव भूमि लौट आया। यहां भी खेला की तैयारी जोर शोर से है। बड़े-बड़े योद्धा जो करोना के आते ही इम्युनिटी बढ़ाने सवा साल पहले दिल्ली, देहरादून में गुप्त साधना में मस्त हो गए थे अब पहाड़ चल पड़े हैं।
उनके पास में इम्यूनिटी का कारगर फार्मूला है, जो चुनाव में काम आता है। कम्युनिटी कम्युनिटी डिस्टेंसिंग फार्मूला। कोरोना के सोशल डिस्टेंसिंग फार्मूले ने जनता को समझा दिया था कि यह सबकी मुसीबत है। शारीरिक दूरी कुछ समय की बात है। मन की दूरी खत्म करना भावी पीढ़ी की भलाई के लिए जरूरी है।
आम जनता की यह इम्युनिटी चुनावी नेताओं की कम्युनिटियों को खतरा है। इसलिए कोरोना से बचाव के लिए हर सावधानी बरतें। कोरोना वायरस चाहे जैसा हो।
आपका बुधू।