नई टिहरी (8) *पुनर्वास रोजगार और….
विक्रम बिष्ट
नई टिहरी। पुनर्वास और रोजगार स्वाभाविक रूप से टिहरी बांध प्रभावितों के लिए सबसे अहम मुद्दे थे। इसलिए ये टिहरी की राजनीति और आंदोलनों के केंद्र में रहे हैं। इन दोनों मुद्दों को लेकर लगातार आंदोलन होते रहे हैं। आज भी जारी हैं।
ज्यादातर विकास योजनाएं के साथ मनुष्य के पुनर्वास की समस्या नहीं होती है। शेष प्राणियों- वनस्पतियों के पुनर्वास के प्रति अभी हम उतने सभ्य और संवेदनशील नहीं हैं। टिहरी बांध परियोजना की जरूरी शर्तों को लेकर आत्म केंद्रित समाज तो दूर हमारे जागरूक प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी और सरकारी कारिन्दे कितनी चर्चा करते दिखे हैं । सामान्य बोलचाल की भाषा में इन शर्तों को वनस्पति, जंतु , जलगुणवत्ता का संरक्षण एवं टिकाऊ विकास की व्यवस्था सुनिश्चित करना कह सकते हैं,ताकि हमारे आज के पुनर्वास और रोजगार के साथ भावी पीढ़ियों की खुशियां सुरक्षित रखी जाएं।
इन पर काम हुआ दिखाकर करोड़ों रुपये इधर-उधर कर लिए गए। जिस नई टिहरी की बात हम यहां कर रहे हैं, इसमें टिकाऊ विकास तो छोड़िए वह दो-चार मौसम सहने वाले कितने पेड़ उगाए पनपाए गए है।
” New Tehri town was totally devoid of plantation on the roadside and in the residential areas, a major initiative needs to be taken up”
यहा भारत सरकार की परियोजना स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी की अप्रैल 2003 की रिपोर्ट का अंश है।
इस रिपोर्ट में कमेटी ने ऋषिकेश के निकट पुनर्वास स्थलों के हवाले से बताया है कि बेरोजगारों और महिलाओं की आय के लिए प्रशिक्षण का कोई काम नहीं हुआ है।
क्या 17 साल बाद आपको उन स्थितियों में सकारात्मक बदलाव दिखा है? इन वर्षों में बांध प्रभावितों के प्रतिनिधि वास्तव में क्या कर रहे थे? जारी….