दुनिया का सबसे बड़ा 1,350 किलोमीटर लम्बा “दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे” जनवरी 2023 तक होगा तैयार-गडक़री
गाड़ियों के हॉर्न-सायरन की जगह सुनाई देगी तबला-हारमोनियम की आवाज
जीएनएस ब्यूरो।
नई दिल्ली। केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की मानें तो देश में अब गाड़ियों और एम्बुलेंस में हॉर्न-सायरन नहीं बल्कि तबला, बांसुरी, हारमोनियम और बिगुल जैसे हिंदुस्तानी वाद्यों की आवाज सुनाई देगी, उनका मंत्रालय इस दिशा में काम कर रहा है।
“दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे दुनिया का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे होगा । इसकी लंबाई करीब 1,350 किलोमीटर है। सरकार ने इस परियोजना को जनवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। ये एक्सप्रेस-वे देश के 5 राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा। ये दोनों शहरों के बीच मौजूदा राजमार्ग से अलग होगा और नए स्थानों को जोड़ेगा”
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी गुरुवार को दिल्ली और मुंबई के बीच नए सिरे से बनाए जा रहे (ग्रीनफील्ड) एक्सप्रेस-वे का निरीक्षण करने के लिए राजस्थान के दौसा पहुंचे । वहां एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने 90 हजार करोड़ से अधिक लागत वाली इस परियोजना की जानकारी दी।
गडकरी ने कहा कि ये एक्सप्रेस-वे रणथंभौर और मुकुंदरा हिल्स के टाइगर रिजर्व से भी गुजरेगा, वन्य जीवन को इस परियोजना से कोई नुकसान ना हो इसके लिए सरकार ज्यादा पैसा लगाकर इन जगहों पर एलिवेटेड रोड का निर्माण कर रही है।
श्री गडकरी ने बताया कि एक्सप्रेस के किनारे 20 लाख पेड़ लगेंगे। जंगल और जीव जंतु के मद्देनजर 3 एनिमल और 5 ओवर पास बनाए जा रहे हैं। आकलन के मुताबिक इस एक्सप्रेस वे से 320 मिलियन लीटर फ्यूल की बचत होगी और 850 मिलियन केजी CO2 emission कम होगा।
इस एक्सप्रेस वे पर जगह जगह हेलीपैड की भी व्यवस्था होगी, जिससे आकस्मिक स्थिति में किसी मरीज़ को एयर एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा। इतना ही नहीं ड्रोन के जरिए नज़र आर्थिक गतिविधि को लेकर भी है। 98 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस एक्सप्रेस वे पर टोल रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक के ज़रिए लिया जाएगा। उम्मीद है कि अगले साल मार्च में इसका दिल्ली से दौसा तक का हिस्सा खोल दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय प्रयास कर रहा है कि गाड़ियों में जो हॉर्न और सायरन की आवाज़ होती है उसमें तबला, हारमोनियम, बांसुरी और बिगुल जैसे भारतीय वाद्यों की आवाज़ सुनाई दे। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि एक तो ये ध्वनि प्रदूषण को कम करेगा और दूसरा वन्य जीवन के संरक्षण में भी काम आएगा।