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बुधू- टिकट घर पर स्वागत है

बुधू- टिकट घर पर स्वागत है
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राजपाट त्याग कर सिद्धार्थ बुद्ध बना। किसे याद है कि महात्मा बुद्ध राजकुमार सिद्धार्थ था। बौद्ध धर्म चीन, जापान तक फैला है। अहिंसा, त्याग तपस्या बहुत आवश्यक है लेकिन पड़ोस के घर में।

बुधू को पत्रकारिता की महता का पता ठेके पर चुला । किस ठेके पर बताऊँगा नहीं। बुधू को पत्रकारिता की सर्वश्रेष्ठ चकड़ैत यूनिवर्सिटी के स्वंयम्भू कुलपति का मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त है। 

बुधू को गुरुज्ञान है, इसलिए अपनी बुधिया और झोपड़ी का त्याग करने के बारे में सोचा नहीं। ये काम तो पड़ोस वाले मामूली लोग भी कर सकते हैं।

एक त्रिकालदर्शी गुरुजी ने जो ज्ञान दिया वह जनहित और लोकतंत्र हित में परम आवश्यक है, इसलिए देश हित में इसका बखान जरूरी है। काम चाहे जैसे करो। ना भी करो। कुछ अच्छा हो रहा है उसका बखान करो। टिहरी बांध नहीं बनना चाहिए था, लेकिन बना। देश के लिए जरूरी, इसलिए पीएमजी से कर करवा कर बनवा दिया।

श्री गुरु हिमालय को जड़ी बूटी बगीचा बनाये रखना चाहते हैं है। उनको बुधू की काबिलियत पर पूरा भरोसा है। उत्तराखंड में चुनाव होने वाले हैं। गुरु जी ने नया फॉर्मूला दिया है।

टिकट बिक्री एवं संग्रहण केन्द्र खोल रहा हूं पत्रकारिती जारी रखूंगा। आवश्यक बुराई है। चुनाव के टिकट हैं आप बुकिंग करवा लें। पहले आओ पहले पाओ का सिद्धांत है, लागू होना अनिवार्य नहीं है। जेब भारी होनी जरूरी है। फुटकर विक्रेता भी आ सकते हैं, बुधु की नई दुकान पर।

आपका-बुधू।


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Govind Pundir

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