सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन
रायवाला हरिद्वार। माँ उमा देवी घिल्डियाल की स्मृति में प्रतीत नगर रायवाला में 15 अक्टूबर से चल रहे श्रीमद् भागवत कथा का समापन गुरुवार को हवन एवं भंडारा के साथ हुआ।
भंडारा से पूर्व कथा स्थल पर 101 कन्याओं का पूजन व्यासजी महाराज के द्वारा किया गया एवं उनको भोजन कराया गया। कथा वाचक आचार्य डाक्टर सुरेश चरण बहुगुणा ने अंतिम दिन सुदामा एवं श्री कृष्ण की मित्रता का वर्णन सुनाया कि जीवन मे मित्रता में बड़ा छोटा का भाव एवं ऊंच नीच का भाव नहीं होना चाहिए, मित्रता का भाव एक समान होता है।द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की तरह जैसा उन्होंने श्री सुदामा के साथ मित्रता का व्यवहार निभाया।
अंतिम उपदेश में आचार्य ने बताया कि अन्य ग्रंथ मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाते है और श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य को मरना सिखाती है, जीवन मे जीने के बाद कैसी मृत्यु हो, श्री शुकदेव भगवान ने महाराज परिक्षित को भागवत का उपदेश देकर उन्हें तक्षक सर्प के काटने से पहले ही भागवत ज्ञान के द्वारा मुक्त कर दिया था।
हवन एवं कन्या भोजन के बाद आयोजन कमेटी के द्वारा समस्त ग्राम वासियों के लिए प्रसाद सह रात्रि भोजन की व्यवस्था की गई थी। आयोजन को सफल बनाने में आयोजक नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज,पं शिवप्रसाद घिल्डियाल, आचार्य कैलाश घिल्डियाल, डॉक्टर चण्डी प्रसाद घिल्डियाल, साध्वी माँ देवेश्वरी, नेहा शर्मा, सुरेश कुकसाल, अनिल पन्त, राजेन्द्र कुकरेती, अव्वल सिंह बिष्ट ने योगदान दिया।