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टिहरी: ‘बीज बम अभियान’ सप्ताह का शुभारंभ

टिहरी: ‘बीज बम अभियान’ सप्ताह का शुभारंभ
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नई टिहरी। पर्यावरण संरक्षण एवं वन्यजीवों की खाद्य श्रृखला को पुर्नजीवित कर वन्यजीव-मानव संघर्ष में कमी लाने के लिए उदेश्य से 9 से 15 जुलाई एक सप्ताह तक ‘‘बीज बम अभियान’’ चलाया जाएगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को देहरादून में अभियान का शुभांरभ किया।

बीज बम अभियान‘ का मुख्य उद्देश्य प्रभावित हो रही जैव विविधता को संरक्षित करना तथा वन्य जीवों की खाद्य श्रंखला को पुनर्जीवित कर वन्यजीव-मानव संघर्ष में कमी लाना है।
जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल इवा आशीष श्रीवास्तव के दिशा निर्देशन में इस कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़ने के लिए विकास भवन सभागार नई टिहरी में कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस मौके पर अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं स्कूली बच्चों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
इस मौके पर जिला विकास अधिकारी सुनील कुमार ने स्कूली बच्चों को बीज बम अभियान पद्धति की जानकारी देते हुए स्वयं इस अभियान का हिस्सा बनकर अन्य को भी जागरूक करने की बात कही। कहा कि बीज बम बनाने का बहुत ही सिंपल तरीका है, मिट्टी और गोबर के गोले बनाकर उसके अंदर बीज रखना है, औऱ बीज बम बनने के बाद इनको जंगलों में रखा जाएगा, इससे वनस्पति तैयार होगी और उनके फल फूल जंगली जानवरों को खाने के लिए मिलेंगे और वे घनी आबादी में नही आएंगे और न ही फसलों को नुकसान पहुंचाएंगे। इससे पर्यावरण का भी संरक्षण होगा। 

उन्होंने वन विभाग को बीज बम अभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु प्लान बनाकर कार्य करने को कहा। साथ ही जन आंदोलन के रूप में स्वयं सहायता समूह, महिला मंगल दल, युवक मंगल दल, वन पंचायत प्रतिनिधि पंचायत आदि की भागीदारी से कार्यक्रम को सफल बनाने को कहा।
बीज बचाओ आंदोलन के कर्मवीर, इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार विजेता एवं समाजसेवी जड़धार गांव निवासी विजय जड़धारी ने कहा कि बीज बम योजना नेचुरल फार्मिंग की एक अच्छी योजना है। उन्होंने अपने स्लोगन ‘क्या है जंगल के उपकार मिट्टी’ पानी और बयार, जिंदा रहने के आधार’ से शुरू करते हुए कहा कि पौधे और बच्चे एक समान होते हैं, पौधरोपण के बाद उनका संरक्षण बहुत जरूरी है। सभी लोग पौधरोपण जरूर करें, हमारे शास्त्रों में भी एक पेड़ को दस पुत्रों के समान माना गया है। उन्होंने हैंवालघाटी में हुए चिपको आंदोलन से भी बच्चों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तक ‘उत्तराखंड की प्राकृतिक खाद्य प्रजातियां’ में 130 प्रजातियां ऐसी हैं जो नेचुरल फार्मिंग की हैं। कहा कि बारह अनाज की फसल से उत्पन होने वाले अन्न को खाने से इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता है।
इस मौके पर वन क्षेत्र अधिकारी शशिभूषण उनियाल, ग्राम प्रधान सौड़ पुष्पा उनियाल, प्रधानाचार्य सरस्वती विद्या मंदिर नई टिहरी बी.डी. उनियाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं विभिन्न स्कूलों के स्कूली छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।


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Govind Pundir

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