टीएचडीसीआईएल को प्रतिष्ठित सीएसआर टाइम्स अवार्ड से सम्मानित किया गया
ऋषिकेश 21 अगस्त 2023। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री आर.के.विश्नोई ने सूचित किया है कि टीएचडीसीआईएल को ‘जल संरक्षण और प्रबंधन’ पर ध्यान देने के साथ कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पहल में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए प्रतिष्ठित सीएसआर टाइम्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रो.एस.पी.सिंह बघेल ने की। डॉ. लास्ज़लो मक्क, मिशन के उप प्रमुख, विशेष दूत और प्रतिनिधि मंत्री, ने हंगरी दूतावास में 10वें राष्ट्रीय सीएसआर शिखर सम्मेलन और सीएसआर टाइम्स अवार्ड, 2023 में यह पुरस्कार प्रदान किया। सम्मेलन की थीम सीएसआर टाइम्स द्वारा “विकासशील अर्थव्यवस्था में सीएसआर के माध्यम से एसडीजी हासिल में, जी 20 राष्ट्रों की भूमिका” थी। यह सम्मेलन 21 अगस्त, 2023 को आयोजित किया गया ।
श्री विश्नोई ने कहा कि जल संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन के क्षेत्र में टीएचडीसीआईएल के उल्लेखनीय प्रयासों ने न केवल प्रशंसा ही हासिल की है, बल्कि इससे टिहरी गढ़वाल के ग्रामीण गांवों के जीवन में बदलाव आया है। इन प्रयासों ने जल की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित करके ग्रामीणों के वित्तीय और शारीरिक बोझ को काफी कम कर दिया है।
साथ ही श्री विश्नोई ने कहा कि जूरी सदस्यों और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने टीएचडीसीआईएल के अपने परिचालन क्षेत्र में जल की गंभीर कमी के मुद्दों को उठाने के लिए टीएचडीसीआईएल की प्रतिबद्धता की सराहना की। यूएनडीपी से प्राप्त हुई जल संकट की गंभीरता के बारे में चेतावनियों के प्रतिउत्तर में, टीएचडीसीआईएल ने अपनी सीएसआर-संचालित ‘जल संरक्षण और प्रबंधन’ परियोजना शुरू की है, जिसे अपनी प्रायोजित सोसायटी ‘सेवा-टीएचडीसी’ के माध्यम से क्रियान्वित किया है। इस अभूतपूर्व पहल के तहत, टीएचडीसीआईएल ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, जिसमें 972 रेनवाटर हार्वेस्टिंग टैंक, 2282 वाटर रिचार्ज पिट्स, 610 वाटर ट्रेंचेज, 70 चेक डेम और 63 चल-खल संरचनाओं का निर्माण शामिल है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों ने न केवल खराब मौसम के दौरान जल की कमी को कम किया है, बल्कि टिहरी जिले के प्रतापनगर और भिलंगना ब्लॉकों में भी नव जीवन प्रदान किया है।
इस अवसर पर बोलते हुए टीएचडीसीआईएल के निदेशक (कार्मिक), श्री शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि अपनी शानदार जल संरक्षण परियोजना के अलावा, टीएचडीसीआईएल सक्रिय रूप से स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में भी कार्य कर रहा है। इसके तहत परियोजनाओं से प्रभावित क्षेत्रों में एलोपैथिक और होम्योपैथिक औषधालयों का संचालन किया जा रहा है और स्थानीय समुदायों के स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देते हुए अपने परिचालन क्षेत्रों में चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाते हैं। शिक्षा भी टीएचडीसीआईएल के सीएसआर दर्शन की आधारशिला के रूप में प्राथमिकता पर है। कंपनी समाज के गरीब एवं वंचित बच्चों, जिन्हें शैक्षिक अवसरों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, के लिए स्कूलों का संचालन करती है। इसके अलावा, टीएचडीसीआईएल प्रशिक्षण कार्यक्रमों और छात्रवृत्तियों की पेशकश करके, वंचित युवाओं को उज्जवल भविष्य के लिए आवश्यक कौशल के साथ सशक्त बनाकर कौशल विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। सशक्तिकरण, विशेषकर महिलाओं का, टीएचडीसीआईएल की सीएसआर पहल का केंद्र बिंदु है। कंप्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई कार्यक्रम, ब्यूटीशियन पाठ्यक्रम और विभिन्न आजीविका गतिविधियाँ महिलाओं को सशक्त बना रही हैं, तथा उनके सामाजिक-आर्थिक विकास और
आत्मनिर्भरता में योगदान दे रही हैं। सतत प्रगति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में, टीएचडीसीआईएल कृषि क्षेत्र को सहायता प्रदान करता है। किसानों को कृषि गतिविधियों में वृद्धि करने और पैदावार बढ़ाने के लिए फलों के पौधे और सब्जियों के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं तथा पॉलीहाउस और प्रासंगिक प्रशिक्षण में सहायता प्रदान की जा रही है।
साथ ही श्री शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि संक्षेप में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के सीएसआर प्रयास स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और कृषि सहित अनेक क्षेत्रों में फैले हुए हैं। समग्र दृष्टिकोण के साथ, कंपनी उन समुदायों के लिए उज्ज्वल और अधिक समृद्ध भविष्य की कल्पना करती है।
यह प्रतिष्ठित पुरस्कार कांस्य श्रेणी में टीएचडीसीआईएल की ओर से श्री शैलेन्द्र सिंह, निदेशक (कार्मिक) द्वारा प्राप्त किया गया। समारोह में सरकारी और निजी क्षेत्रों के औद्योगिक और व्यापारिक क्षेत्रों के प्रमुखों ने भाग लिया।
टीएचडीसीआईएल 1587 मेगावाट की संस्थापित क्षमता के साथ देश में प्रमुख विद्युत उत्पादक है, इसमें उत्तराखण्ड में टिहरी बांध और एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट), गुजरात के पाटन में 50 मेगावाट और द्वारका में 63 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं, उत्तर प्रदेश के झांसी में 24 मेगावाट के ढुकुवां लघु जल विद्युत परियोजना, केरल के कासरगोड में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना की सफलतापूर्वक कमीशनिंग को इसका श्रेय जाता है।