एग्री-ईको-टूरिज्म पर मंथन: उत्तराखंड में सतत समाधान हेतु कुलपतियों का संगम
टिहरी गढ़वाल । भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (IAUA) का 14वाँ मंथन सत्र आगामी 27–28 अक्टूबर, 2025 को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (VCSG UUHF), भरसार, वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी में आयोजित किया जा रहा है।कार्यक्रम का विषय “भारत में एग्री-ईको-टूरिज्म: अवसर, चुनौतियाँ और आगे की राह” है, जिसका उद्देश्य कृषि, पारिस्थिकी और ग्रामीण पर्यटन को जोड़ते हुए सतत आजीविका के नवीन एवं व्यावहारिक मॉडल विकसित करना है, जिससे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया जा सके।
कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ((सेवानिवृत्त)) द्वारा किया जाएगा, जो मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएँगे। विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. परविंदर कौशल ने बताया कि उत्तराखंड, जो चारधाम यात्रा और पर्यटन का केंद्र माना जाता है, कृषि और पर्यटन को जोड़कर सतत एवं पर्यावरण- अनुकूल मॉडल विकसित करने की अपार संभावनाएँ रखता है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ प्रतिवर्ष देश के विभिन्न भागों में मंथन सत्र आयोजित करता है, जहाँ कृषि एवं इससे संबंधित क्षेत्रों की ज्वलंत समस्याओं पर विचार-विमर्श किया जाता है। इस वर्ष उत्तराखंड को इस महत्वपूर्ण आयोजन की मेज़बानी का अवसर मिला है, जो गर्व का विषय है। देश के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के कुलपति इस दो दिवसीय आयोजन में भाग लेंगे। उद्घाटन सत्र में, माननीय राज्यपाल और प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा उत्तराखंड के प्रगतिशील किसानों और एग्री-इकोटूरिज्म उद्यमों को सम्मानित भी किया जाएगा। यह सम्मान पहाड़ी क्षेत्रों में एग्री-इकोटूरिज्म और सतत ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने में उनके उत्कृष्ट योगदान की पहचान के रूप में दिया जाएगा।
तकनीकी सत्रों में देश के प्रमुख संस्थानों के तीन विशिष्ट वक्ता एवं विशेषज्ञ विचार प्रस्तुत करेंगे। इनमें श्री पांडुरंग तावरे (भारत में एग्री-ईको-टूरिज्म के जनक), डॉ. एस.पी. सिंह (पूर्व कुलपति, एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय), डॉ. तेज प्रताप (कुलपति, एस.एस.यू, ओडिशा), तथा प्रो. एम.एस. चौहान (IAUA अध्यक्ष एवं कुलपति, जी.बी. पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर) सहित कई वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं नीति-निर्माता शामिल होंगे। वे नीतिगत ढाँचे, आर्थिक अवसरों, क्षमता निर्माण मॉडल और सफल उदाहरणों पर चर्चा करेंगे।
कार्यक्रम के दौरान एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी, जिसमें स्थानीय जैविक उत्पाद, पारंपरिक हस्तशिल्प और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ प्रदर्शित किए जाएँगे। यह प्रदर्शनी क्षेत्रीय किसानों, स्वयं सहायता समूहों एवं छात्रों द्वारा तैयार उत्पादों के माध्यम से एग्री-ईको-टूरिज्म आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देगी।
वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. टी.एस. मेहरा ने बताया कि कार्यक्रम में गढ़वाली लोक नृत्य एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी शामिल होंगी, जो छात्रों द्वारा प्रस्तुत की जाएँगी और उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करेंगी। उन्होंने कहा कि छात्रों एवं संकाय सदस्यों की सक्रिय भागीदारी से उन्हें सीखने, सहयोग एवं व्यावसायिक विकास के अवसर प्राप्त होंगे।
कार्यक्रम सचिव डॉ. अरविंद बिजलवान ने बताया कि दो दिवसीय तकनीकी कार्यक्रम (27–28 अक्टूबर) के दौरान सतत विकास रणनीतियों, नीतिगत कमियों, अवसंरचना आवश्यकताओं एवं नवाचार मॉडलों पर गहन चर्चा की जाएगी। चर्चाओं से प्राप्त सुझावों के आधार पर पहाड़ी क्षेत्रों में मॉडल ईको-टूरिज्म गाँवों की स्थापना, विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में एग्री-ईको-टूरिज्म को शामिल करने, और विश्वविद्यालय–किसान साझेदारी को सशक्त बनाने के लिए सिफारिशें तैयार की जाएँगी।
समापन सत्र में उत्तराखंड के माननीय वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। यह महत्वपूर्ण आयोजन विश्वविद्यालय और IAUA की सतत पर्वतीय कृषि, जैव विविधता संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी पर आधारित ग्रामीण विकास के प्रति साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करेगा ।
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