राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोशीमठ में संविधान दिवस पर वंदे मातरम का सामूहिक गायन

जोशीमठ। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोशीमठ में बुधवार को संविधान दिवस के उपलक्ष्य में वंदे मातरम का सामूहिक गायन एवं संविधान दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर यह आयोजन भारत की राष्ट्रीय पहचान के विकास में इस गीत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।इस अवसर पर इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रणजीत सिंह मार्तोलिया ने वंदे मातरम गीत के इतिहास एवं इसके महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस गीत की रचना वर्ष 1875 में बंकिम चंद्र चटर्जी ने की थी, जिसे उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ (1882) में शामिल किया गया। यह गीत पहली बार वर्ष 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में रविंद्रनाथ ठाकुर द्वारा गाया गया था।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. प्रीति कुमारी ने संविधान दिवस की ऐतिहासिकता और महत्व पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत और लोकतांत्रिक संविधान है, जो नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों दोनों का सम्यक मार्गदर्शन करता है।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर श्री नवीन पंत ने बताया कि वंदे मातरम का भाव अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त से प्रेरित है, जिसमें मातृभूमि की वंदना की गई है। उन्होंने कार्यक्रम का संचालन भी किया।
कार्यक्रम में छात्र संघ के पदाधिकारी, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सहित सभी प्राध्यापकों, शिक्षणोत्तर कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने सामूहिक रूप से वंदे मातरम गायन में भाग लेकर एकता और देशभक्ति का संदेश दिया।



