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लौह पुरुष सरदार पटेल को कोटि-कोटि नमन

लौह पुरुष सरदार पटेल को कोटि-कोटि नमन
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लौह पुरुष सरदार पटेल को कोटि-कोटि नमन

विशेष/संपादकीय

गुजरात के नाडियाड में 31 अक्टूबर 1875 को जन्मे सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। 31 अक्टूबर राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरदार पटेल को देश का पहला गृह मंत्री बनने का भी सौभाग्य प्राप्त है। आजादी के बाद टुकड़ों में बिखरी 562 रियासतों को एकजुट करके उन्होंने ही एक भारत का निर्माण किया था। इसीलिए वह सरदार कहलाए।

सरदार पटेल ने 1948 में उप-प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़े की पेशकश करते हुए गांधी जी को पत्र को लिखा था, कि “काम का बोझ इतना अधिक है कि उसे उठाते हुए मैं दबा जा रहा हूं। मैं समझ चुका हूं कि अब और अधिक समय तक बोझ उठाने से देश का भला नहीं होगा, बल्कि इसके विपरीत देश का नुकसान होगा।” भले ही गांधी जी ने उनके पत्र को सिरे से नकार दिया था।

सरदार के बड़े भाई विठ्ठल भाई पटेल को काफी कम लोग जानते हैं। दोनों भाई कांग्रेस के दिग्गज नेता थे, लेकिन बाद में विठ्ठल भाई पटेल ने सुभाष चंद्र बोस के साथ मिलकर गांधी जी के नेतृत्व पर सवाल उठाए। कहा जाता है कि विठ्ठल भाई ने अपनी संपत्ति का तीन चौथाई हिस्सा सुभाष चंद्र बोस को दे दिया था। इस बात का जिक्र “विठ्ठलभाई पटेल: लाइफ एंड टाइम्स” नाम से प्रकाशित किताब में सरदार पटेल व विठ्ठल भाई के आपसी रिश्तों का जिक्र मिलता है।

कहा जाता है कि जब गांधी जी जेल में थे, तब सरदार पटेल ने भारतीय झंडा फहराने को प्रतिबंधित करने वाले अंग्रेजों के कानून के खिलाफ 1923 नागपुर में सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया था। 1931 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1934 और 1937 में कांग्रेस के अखिल भारतीय चुनाव प्रचार में सबसे आगे थे। वहीं, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के आयोजन में प्रमुख नेता थे। उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुख रूप से शामिल होने के कारण पुलिस ने कैद कर लिया था और 1945 में रिहा किया था। सरदार जी गांधीजी के असहयोग आंदोलन के समर्थक थे। उन्होंने गुजरात में शराब, छुआछूत और जातीय भेदभाव जैसी कुरीतियों का जमकर विरोध किया। यही कारण रहा कि वह 1922, 1924 और 1927 में अहमदाबाद की नगर पालिका के अध्यक्ष रहे।

उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स के विरोध में खेड़ा, बारडोली व गुजरात के अन्य क्षेत्रों से किसानों को संगठित किया और गुजरात में ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन की शुरुआत की। वह अपने लक्ष्य में सफल हुए, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार को उस वर्ष का राजस्व कर माफ करना पड़ा। आखिरकार अंग्रेजों को उनके आगे झुकना पड़ा। सरदार वल्लभ भाई देश के महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उत्तराखंड: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश के प्रथम गृह एवं उप प्रधानमंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माता सरदार पटेल ने राष्ट्र की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना होगा। युवा पीढ़ी को सरदार पटेल के आदर्शो से प्रेरणा लेकर देश के सर्वांगीण विकास के लिए अपना योगदान देना होगा।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आज का दिन हमें अपने को राष्ट्र की सेवा के लिये समर्पित करने की भी प्रेरणा देता है। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा “Statue Of Unity”  न केवल सरदार पटेल के प्रति देश की कृतज्ञता है, बल्कि हिंदुस्तान की एकता और अखंडता का भी प्रतीक है।

ज्ञातव्य है कि इस परियोजना की घोषणा पहली बार 2010 में हुई थी और प्रतिमा का निर्माण अक्टूबर 2013 में लार्सन एंड टर्बो द्वारा शुरू किया गया था, जिसे केंद्र सरकार से 89 2,989 करोड़ (US $427 मिलियन) का ठेका मिला था। यह भारतीय मूर्तिकार राम वी0 सुतार द्वारा डिजाइन किया गया था, और इसका उदघाटन 31 अक्टूबर 2018 को पटेल की 143 वीं जयंती पर भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। आज पूरे देश में 31 अक्टूबर को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के तौर पर मनाया जा रहा है। पुनः महान देश भक्त एवं लौह पुरुष सरदार पटेल को भावपूर्ण श्रद्धांजलि, कोटि-कोटि नमन।

गोविन्द पुण्डीर, सम्पादक


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