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पौराणिक सेम मुखेम मेले का आयोजन 26 नवंबर से

पौराणिक सेम मुखेम मेले का आयोजन 26 नवंबर से
पौराणिक सेम मुखेम मेले का आयोजन 26 नवंबर से
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  •  मुखेम मेले का आयोजन 26 नवंबर से
  • हर किसी की पूरी होती है मुराद
  • करोड़ पति भी साल में एक बार माँगेगा भीख
  • श्रीकृष्ण भगवान ने राजा गंगू रमोला से मांगी थी

नई टिहरी * गढ़ निनाद ब्यूरो, 23 नवंबर 2019

टिहरी जिले के प्रताप नगर विकास खण्ड में पौराणिक एवं ऐतिहासिक सेम मुखेम मेला 26 नवंबर को शुरू होने जा रहा है। बताते चलें कि सेम मुखेम में जंगलों के बीच भगवान श्री कृष्ण का भव्य मंदिर स्थापित है।हर साल यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है। इस साल 26 नवंबर से  मेला होगा।

हर किसी की पूरी होती है मुराद

मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुँचकर भगवान के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा माना जाता है इस मन्दिर में पहुंचने वाला सच्चा भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता, उसकी हर मन्नत पूरी होती है। कहते हैं कि मन्दिर के पास पानी का कुंड है जिसका पानी पीने से कुष्ठ रोग दूर हो जाता है। बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के श्राप के कारण इस क्षेत्र के लोग साल में एक बार भिक्षु बनकर भीख ज़रूर मांगते हैं। 

2 गज ज़मीन, नहीं देने पर श्री कृष्ण ने दिया श्राप

किवदंतियों के अनुसार, बहुत पहले भगवान श्री कृष्ण साधू  बनकर यहां आए उन्होंने इस क्षेत्र के राजा गंगू रमोला से 2 गज ज़मीन मांगी थी, लेकिन राजा ने अपनी हठधर्मिता के चलते उन्हें ज़मीन देने से इनकार कर दिया।

तब साधू रूप में भगवान श्री कृष्ण ने राजा को श्राप दिया था कि उसके कुटुंब का हर व्यक्ति भिक्षु बनकर भीख माँगेगा। तब से लेकर आज भी सेम-मुखेम के लोग साल में एक बार भीख ज़रूर मांगते हैं, चाहे वह कितना धनी क्यों न हो। तब राजा गंगू रमोला ने अपनी पत्नी के कहने पर साधू वेषधारी श्री कृष्ण से माफी मांगी। 

श्री कृष्ण ने राजा की पत्नी से खुश हो दिया वरदान

भगवान श्री कृष्ण ने राजा की पत्नी से खुश होकर वरदान मांगने को कहा। राजा की कोई संतान नहीं थी तो राजा की पत्नी ने वरदान के रूप में भगवान से पुत्र का वर मांगा। जिसके बाद राजा के दो पुत्र हुए, जिनका नाम बिन्दुआ और सिधुआ रखा गया। 

श्री कृष्ण ने कालियानाग को भेजा सेम-मुखेम

दूसरी किंबदंती के अनुसार जब बाल्यकाल में कालंदी नदी पर भगवान श्री कृष्ण की गेंद गिरी थी तो भगवान ने कालिया नाग को नदी से भगाकर सेम-मुखेम जाने को कहा था।

हिडिम्बा राक्षस का वध भी हुआ इसी स्थान पर

लक्ष्मी प्रसाद कहते हैं कि बाल्यकाल में भगवान श्री कृष्ण ने हिडिम्बा राक्षस का वध इसी स्थान पर किया था। उस वक्त हिडिम्बा के शरीर के हिस्से जिन स्थानों पर गिरे, उन गाँवों का नाम भी हिडिम्बा के नाम से ही पड़ा। आज भी सेम-मुखेम मन्दिर के मैदान में पशुओं की पत्थर शिला बनी है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में कालसर्प योग होता है, वे लोग चाँदी के बने दो सर्प इस मंदिर में चढ़ाते हैं, इससे उन्हें अकाल मृत्यु से निजात मिलती है।


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