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सी.पी.आर. तकनीकी से हृदय घात में बचाव संभव

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ऋषिकेश 6 दिसम्बर। पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग में सी.पी.आर. तकनीकी (cardiopulmonary resuscitation) पर एक जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय, देहरादून के आदेशानुसार तथा राष्ट्रीय मेडिकल परीक्षा बोर्ड (भारत सरकार) (NBMES) के तत्वाधान में ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया।
विशेषज्ञों द्वारा सीपीआर (कार्डिओपल्मोनरी रिससिटेशन) का महत्व के उपयोग बताया गया, जिसमे सीपीआर यानी कार्डिओपल्मोनरी रिससिटेशन जीवन को बचाने के लिए कितना महत्वपूर्ण है। जीवन के किसी भी समय, किसी भी व्यक्ति को हृदय संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है, और यहां काम आता है सीपीआर।
क्या है सीपीआर:
सीपीआर एक अहम तकनीक है जो हृदय आपातकालीन परिस्थितियों में जीवन को स्थायीता प्रदान करने के लिए प्रयुक्त होती है। यह तकनीक मुख्य रूप से हृदय धड़कन को बहाल करने और फिर साँस लेने की क्षमता को पुनर्स्थापित करने में सहायक है।
कैसे करें सीपीआर:
कॉल 911: पहले कदम के रूप में हमेशा एम्बुलेंस को कॉल करें।
छाती की निगरानी: यदि व्यक्ति बेहोश है, तो छाती की निगरानी करें और देखें कि क्या उसकी साँस है।
छाती दबाना: अगर साँस नहीं है, तो छाती को दबाएं ।
मुंह-मुंह साँस: मुंह-मुंह साँस देने के लिए मुंह को मुंह से ढ़क लें और साँस देने का प्रयास करें।
हृदयमंडल को दबाना : यदि साँस नहीं आ रही है, तो हृदयमंडल को दबाएं।
एडवांस्ड सपोर्ट: अगर सीपीआर के बाद भी साँस नहीं आती है, तो अगले स्तर के चिकित्सा साधनों की ओर बढ़ें।
मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग के समन्वयक प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा ने अपने संदेश में बताया कि सीपीआर सीखना हर किसी के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह किसी भी समय किसी भी स्थिति में जीवन को बचाने में सहायक हो सकता है।
पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश के निदेशक प्रो. एम एस रावत ने कहा कि हमारे समाज में इस तकनीक की जागरूकता बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर स्वास्थ्य अभियान और शिक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने सभी छात्रों से सीपीआर की की जागरूकता के लिए अपील की।
इस मौके पर विश्वविद्यालय परिसर के छात्र-छात्राएं फैकल्टी व कर्मचारी मौजूद रहे।


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