सुनिए क्वारेन्टीन सेंटर की कहानी, सुरेंद्र की जुबानी
गढ़ निनाद न्यूज़ * 31 मई 2020
प्रताप नगर: हमने पहले भी कहा था कि ग्राम प्रधान क्वारेन्टीन सेंटरों पर रह रहे लोगों जे खाने रहने आदि की व्यवस्था किसी तरह कर ही रहे हैं, मगर बिजली के खंभे पर चढ़ सकें यह कतई संभव नहीं। यह व्यवस्था तो विभाग ही करेगा। मगर बिजली विभाग को दया तो आती नहीं क्या करें। प्रतापनगर के क्वारेन्टीन सेंटर में अंधेरे में एक छोटे बच्चे की रोने की आवाज सुनकर किसका दिल नहीं दहलेगा।
राजकीय इंटर कॉलेज मिश्रवाण गांव के क्वारेन्टीन सेंटर में रह रहे सुरेंद्र धनाई की जुबानी
“आज मेरा कोरांटीन सेंटर में सतावा दिन है। अच्छा समय गुजर रहा है मगर दिन तो उजाले में गुजर जाता है मगर रात अंधेरे में गुजारनी पड़ती है। जब मै शुरू में आया था तो सिर्फ दो ही दिन लाइट रही और उसके बाद एक दिन सारी ग्रामसभा की लाइट चली गई। कुछ घंटे बाद ग्राम सभा में लाइट तो आ गई मगर हमारा एरिया आज भी लाइट से वंचित है। वह तो कुदरत की मेहरबानी ही समझो कि बीच में बारिश हुई वरना गर्मी से भी बुरा हाल हो जाता। अभी भी दिन के समय काफी गर्मी रहती है। अब छोटा बच्चा साथ है तो दिक्कत तो हो ही रही है। सात दिन तो कठिनाई भरे काट ही दिए हैं अभी और 7 दिन काटने हैं। अब उम्मीद है क्या पता शायद लाइट आ जाए। मुझे किसी से कोई आश्वासन तो नहीं मिला है और ना ही मैंने इस बारे में किसी से कोई विचार विमर्श किया है। मैंने सोचा लोग स्वतः ही संज्ञान लेंगे मगर नहीं । मैं किसी को दोष भी नहीं दे सकता। अब मैं इसे विडंबना कहूं या समय की नजाकत, मगर जो भी है दिक्कत तो हो ही रही है।
अब लाइट कब तक ठीक होती है या नहीं इसमें कुछ कहना मुश्किल है। हम वैसे भी रह लेते मगर बात छोटे बच्चे की है अब छोटे बच्चे के साथ दिक्कत हो रही थी तो मैंने अपनी मां को भी घर से बुलाकर 14 दिन के लिए अपने ही साथ कोरेंटिन कर दिया है ताकि जो हमारी व्यक्तिगत समस्याएं हैं उसका हल हो सके मगर जो लाइट की समस्या है। इसका हल तो मैं खुद तो नहीं कर सकता हूं मगर उम्मीद करता हूं शायद इस समस्या का भी समाधान हो सके अब हम उम्मीद ही कर सकते हैं क्योंकि उम्मीद पर तो दुनिया कायम है।
सुरेन्द्र धनाई
क्वारेन्टीन सेंटर,
GIC मिश्रवाण गांव,
प्रताप नगर