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बुधू

बुधू
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कोरोना के नाम—

सेवामें  दुष्ट कोरोना, अल्पजीवी भव। हो सके तो आज और अभी मर जाओ।  तुम्हारे बच्चे न होते तो अच्छा होता । शुभकामना है कि तुम्हारे बच्चे तुम्हारा ही खून पियें । तुम्हारे साथ मर जायें , ताकि दुनिया चैन की सांस ले सके।

मुझे बिश्वास था कि तुम यहाँ नहीं आओगे । आ ही गये हो तो तुम्हारी खैर नहीं । यह पहुँचे हुए बाबाओ और करामाती नेताओं की भूमि है । तुम्हारे बारे में बतातें कि तुम रूप गुण बदलने में माहिर हो । हमने गिरगिट और नेताओं को तो रंग बदलते देखा है । जीन में तब्दीली के बिना ही । 

पर तुम घोखेबाज चीन में जनमें हो तो तुम्हारा स्वभाव वैसा ही होगा । तुम्हारा जनक भी इसी तरह दुनिया में रंग बदल बदल कर घुसपैठ करता रहता है । दादागीरी, बरवादी, तबाही उसका धर्म है। तेरे दुष्ट पूर्वज भी दुनिया में इसी तरह तबाही मचाते रहे हैं ।

बताते हैं कि तू अपने वंश की सबसे कमजोर संतान है। जरूर होगा पर तेरा जनक जैसे जैसे मोटा हो रहा है भरोसा नहीं तेरी अगली पीढ़ी कितनी खतरनाक होगी । सपने देख रहे थे कि हम भी दुनिया के साथ डिजिटल हो जाएंगे । क्या पता तेरा जनक हमारे कम्प्यूटर, मोबाइल ही ठप कर दे । दुष्ट कोरोना दुनिया तो फिर भी जिएगी । बस उसे अकल आ जाये और मिलकर तेरे जनक और उसके चमचों की मुण्डियां दबा दे दुनिया में फिर शांति ही शांति ।


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Govind Pundir

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