राखी के धागे
डॉ सुरेंद्र दत्त सेमल्टी
रिश्तो को मजबूती देते,राखी के कच्चे धागे,
और सब बंधन ढीले लगते राखी के बंधन के आगे।
भाई-बहिन के प्यार का प्रतीक, रक्षाबंधन का त्यौहार,
और प्यार दुनिया के सारे, जाते इसके आगे हार।
धर्म जाति बाधक नहिं बनती, इस रिश्ते में बंधने पर,
कर्णावती और हुमांयू, पृथक धर्मों के थे नारी नार।
हुमांयू को भाई मानकर, बांधी राखी उसकी कलाई ,
कर्णावती ने सोच समझ कर, समझी इसमें बड़ी भलाई।
लोहे की श्रंखलाओं में तो, बंधता मात्र है मानव तन,
पर इन रंग बिरंगे धागों में, बंध जाता है सारे जग का मन।
बचनबद्ध हो जाते भाई, बहन की रक्षा करने को, मानती सबसे बड़ा अवलम्ब,दुनिया की सारी बहनें जो।
राखी के हर सूत में होता, दोनों का प्रेम सना हुवा,
विविध आकारों में राखी को, श्रद्धा से होता बुना हुवा।
बहिन-भाई से भेंट करने की, यह पर्व हर वर्ष याद दिलाता,
रक्षाबंधन का त्यौहार, छक-छक कर प्यार पिलाता।
रिश्तों की मर्यादा क्या होती, उसका स्मरण दिलाता पर्व,
जो निभाती धर्म को, उन पर हम सबको है गर्व।
रिश्तों की ऊंचाई छूता, राखी के धागों का बंधन, इस भाई-बहन के प्यार पर्व को,करता जग सदा अभिनंदन।
राखी का त्यौहार है लगता, भाई-बहन को ऊर्जा स्रोत,
दिलों में इससे प्रज्वलित होती, दिव्य रूप में प्रेम की जोत।