यूसर्क वेबीनार: ऑनलाइन शिक्षण कौशल एवं कार्यप्रणाली को नवीन तकनीकियों से प्रभावी बनाया जाय
यूसर्क में कोविड-19 के बीच नए शिक्षण कौशल एवं कार्यप्रणाली पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार
गढ़ निनाद समाचार * 27 अक्टूबर 2020
देहरादून: उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) द्वारा कोविड-19 महामारी के बीच नये शिक्षण कौशल एवं कार्यप्रणाली की स्थापना’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन गया। वेबिनार की संरक्षक एवं यूसर्क की निदेशक प्रो0 (डॉ0) अनिता रावत के द्वारा सभी विशेषज्ञों व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये कहा कि कोरोना वायरस का प्रभाव आज समूचे विश्व पर पड़ रहा है। उद्योग जगत, सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र के साथ शिक्षा पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी शिक्षण संस्थाओं में अकादमिक ऑडिट की व्यवस्था अवश्य की जानी चाहिये।
डॉ० अनिता ने यह भी बताया कि विद्यार्थियों के मूल्यांकन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस) तथा विभिन्न नवीन तकनीकियों का अनुप्रयोग किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि आज के परिपेक्ष में विद्यार्थियों को नवीनतम ज्ञान के साथ-साथ सुविधाओं को प्रदान करने हेतु संसाधनों का सहयोगात्मक रूप से साझेदारी कर उपयोग किया जाना चाहिये।
Dehradun: Uttarakhand Science Education and Research Centre (USERC) – उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क): कोविड-19 के बीच नए शिक्षण कौशल एवं कार्यप्रणाली पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार pic.twitter.com/RJjaTOIjA6
— Garh Ninad (@GarhNinad) October 28, 2020
वेबीनार के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा विभाग के टीक्यूब परियोजना के राज्य परियोजना अधिकारी प्रो0 मनोज पाण्डा ने नये शिक्षण कौशल एवं कार्यप्रणाली के बारे में बताते हुये कहा कि आज की शिक्षा इस प्रकार से निर्धारित होनी चाहिये कि युवा नौकरी खोजने के बजाय नौकरी देने वाले बने तथा युवाओं को भविष्य के लिये तैयार करने के लिये ऑनलाइन एवं ऑफलाइन इंटर्नशिप कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुये कहा कि यूसर्क द्वारा देशकाल एवं परिस्थितियों के अनुरूप राज्य की मुख्य आवश्यकता को समझते हुये यह वेबिनार आयोजित किया जा रहा है, जिसकी आज परम आवश्यकता है।
उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी के कुलपति प्रो0 ओ० पी० एस0 नेगी ने बेबिनार में व्याख्यान देते हुये बताया गया कि सरकारी एवं गैर सरकारी सभी प्रकार के विद्यार्थियों को समान शिक्षा के अवसर प्रदान किये जाने चाहिये। उन्होंने ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज एवं ओपन लर्निग मैनेजमेंट सिस्टम की पैरवी करते हुये बताया कि इस ऑनलाइन प्लेटफाॅम की सहायता से समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त हो सकती है।
पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ की प्रो0 गुनमाला सूरी ने ऑनलाइन शिक्षण में कन्टेंट को रूचिपूर्ण बनाने के लिये तैयारियों के बारे में जानकारी दी और बताया कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्वक एवं ध्यानपरक कन्टेंट किस तरह से पहुंचा सकते है?
यूनी स्किल कुरूक्षेत्र के शिक्षा प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ डॉ0 प्रवीण शर्मा ने पैडागौजी (शिक्षा शास्त्र) के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुये कहा कि दूर दराज के क्षेत्रों में इंटरनेट की कवरेज व बैंडविड्थ कम होने के कारण अगर हम शिक्षा के कन्टेंट को विडियो के बजाय ऑडियो के के रूप में पहुंचायें तो यह विद्यार्थियों के लिये अधिक सहायक होगा।
वेबिनार में वक्ता के रूप में डा. शांतनु त्रिवेदी, यूपीईएस, देहरादून ने बताया कि विभिन्न टूल्स एवं तकनिकीयों का प्रयोग कर शिक्षण को किस प्रकार से प्रभावी बनाया जा सकता है। उन्होंने विभिन्न वेबसाइट के माध्यम से प्रतिभागियों को इसका प्रयोग प्रदर्शन कर भी समझाया।
कार्यक्रम के समन्वयक यूसर्क के वैज्ञानिक, डा. ओपी नौटियाल ने नये शिक्षण कौशल के बारे में चर्चा करते हुये बताया कि यूसर्क द्वारा भी प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत ई-पाठ्यक्रम का निर्माण, उत्तराखण्ड ज्ञानकोष पोर्टल एवं यूसर्क के यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से विभिन्न विषयों में छात्रों तक शिक्षण सामग्री का प्रेषण तथा उत्तराखण्ड मेंटरशिप कार्यक्रम द्वारा प्रदेश के छात्रों एवं युवाओं को विभिन्न लब्धि प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है, जिसका लाभ प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के छात्रों तक पहुंच रहा है।
इसके पश्चात विभिन्न प्रतिभागियों के द्वारा उठाये गये सभी प्रश्नों का विशेषज्ञों द्वारा समाधान किया गया। कार्यक्रम के समन्वयक डा0 ओ0 पी नौटियाल द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। कार्यक्रम में यूसर्क की निदेशक द्वारा मुख्य अतिथि, विशेषज्ञों एवं सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
यूसर्क के वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ० ओपी नौटियाल, डॉ० मन्जू सुन्दरियाल, डॉ० भवतोष शर्मा, डॉ० राजेन्द्र राणा, उमेश चन्द्र, राजदीप जंग, ओम जोशी, श्रीमती शिवानी पोखरियाल, श्री रमेश रावत, श्री हरीश ममगांई द्वारा कार्यक्रम आयोजन में सक्रिय योगदान दिया गया।
उक्त कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न संस्थानों के प्राध्यापकों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों सहित लगभग 200 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।