निजी महाविद्यालयों की कार्यप्रणालियों पर कुलपति सख्त
गढ़ निनाद समाचार* 4 दिसम्बर 2020
नई टिहरी। वर्तमान में श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय में गढ़वाल जनपदों के 54 राजकीय और 114 निजी महाविद्यालय सम्बद्धता प्राप्त हैं। मान्यता प्रणाली को पूर्ण रूपेण पारदर्शी, जबावदेही और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिये कुलपति डा0 पीताम्बर प्रसाद ध्यानी ने कडी मेहनत के बाद सम्बद्धता हेतु विश्वविद्यालय में वेबपोर्टल बनवाया।
शैक्षणिक सत्र 2020-21 हेतु आनलाईन आवेदन, दिनांक 20 जुलाई, 2020 से 31 अगस्त, 2020 तक, आमंत्रित करवाये। इस आनलाईन प्रक्रिया में विश्वविद्यालय को 290 आवेदन पत्र प्राप्त हुए, जिसमें मात्र 154 प्रस्ताव ही प्रथमदृष्टिया अर्ह पाये गये और अन्य निरस्त कर दिये गये। अब इन अर्ह पाये गये प्रस्तावों की विश्वविद्यालय गहनतापूर्वक जांच पड़ताल कर रहा है और सम्बद्धता हेतु निरीक्षण मण्डलों का नियमानुसार गठन कर रहा है। निरीक्षण मण्डल में कुलपति द्वारा बेदाग छवि वाले अनुभवी विशेषज्ञों को शामिल किया जा रहा है।
कुलपति डा0 ध्यानी ने निर्देश दिए कि निरीक्षण मण्डल के पैनल से जो विशेषज्ञ रखे गये हैं बिना उनकी लिखित मनाही के उनकों बदला नही जायेगा। कुलपति ने यह भी अवगत कराया कि कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुये उन्होने निजी महाविद्यालयों के हित में निरीक्षण मण्डलों में उत्तराखण्ड के ही विषय विशेषज्ञों को महत्त्वता दी है लेकिन सामान्य स्थिति होने पर, पूरे देश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को ही निरीक्षण मण्डलों में शामिल किया जायेगा। महाविद्यालय को उन्ही से निरीक्षण नियमानुसार करना होगा।
वर्तमान में विश्वविद्यालय से 33 बी0एड0 कालेज सम्बद्ध हैं। कुलपति डा0 ध्यानी के संज्ञान में ऐसे ही प्रकरण बी0एड0 कालेजों से भी आ रहे हैं। कतिपय निजी बी0एड0 संस्थान बिना विशेषज्ञ से असहमति पत्र लिये हुये प्रयोगात्मक परीक्षाओं के लिये विश्वविद्यालय द्वारा नामित विशेषज्ञों को बदलवाने का कुप्रयास कर रहे हैं। कुलपति ने उन्हे भी सख्त चेतावनी दी है कि अब किसी भी हालत में पुरानी प्रचलित प्रक्रिया नही चलेगी। बिना विशेषज्ञों से लिखित असहमति पत्र के, उनके स्थान पर अन्य विशेषज्ञा नामित नही होंगे।
कुलपति ने साफ तौर पर सभी को चेताया कि अब निजी महाविद्यालयों द्वारा पूर्व से चल रही प्रक्रियाओं और मनमर्जीयों पर विश्वविद्यालय नही चलेगा। निजी महाविद्यालय को राज्य में शैक्षणिक उन्नयन हेतु निर्धारित मानकों पर खरा उतरना होगा और राज्य में युवाओं की आकांक्षाओ के अनुरूप संसाधन जूटाने होंगे और उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल बनाना होगा ताकि राज्यहित में उनका चिरस्थाई योगदान बना रहे।