उत्तराखंड राज्य आंदोलन, भुलाये गये नींव के पत्थर-10

विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार* 4 मार्च 2021। दिसंबर 1972 में देवप्रयाग विधायक इंद्रमणि बडोनी की अध्यक्षता में पर्वतीय राज्य समर्थकों का टिहरी में सम्मेलन हुआ था। सम्मेलन का उद्घाटन पौड़ी के सांसद प्रताप सिंह नेगी ने किया था। विधायक गोविंद सिंह नेगी, ब्लाक प्रमुख जाखणीधार कामरेड बरफ सिंह रावत, ब्लॉक प्रमुख चंबा बचन सिंह नेगी के साथ उत्तराखंड एवं लखनऊ से बड़ी संख्या में राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, वकील सम्मेलन में जुटे थे।
राज्य आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए नए साल की जनवरी में उत्तरकाशी में सम्मेलन आयोजित करने की जिम्मेदारी कामरेड कमला राम नौटियाल को सौंपी गई। स्वर्गीय नौटियाल अपने जुझारू तेवरों के लिए याद किए जाते हैं।
मार्च 1987 को पौड़ी में आयोजित उक्रांद की रैली में वह उत्तरकाशी से बस भरकर कार्यकर्ताओं के साथ शामिल हुए थे। वह बड़ी रैली उक्रांद की थी। लेकिन दक्ष कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं के लाल झंडे खूब चमक रहे थे।
उससे पूर्व ग्यारहगांव हिंदाव से वन संरक्षण अधिनियम के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन को विस्तार देने के लिए इंद्रमणि बडोनी जी, रामानंद बधानी जी के साथ मैं भी उत्तरकाशी भ्रमण पर गया था। पहली बार वहां नौटियाल जी एवं शैलेंद्र सकलानी जी के साथ सभा संबोधित करने का अवसर था। शैलेंद्र सकलानी स्वतंत्रता सेनानी वीरेंद्रदत्त सकलानी और टिहरी के विधायक लोकेंद्र सकलानी के अनुज थे। पहले जनसंघ में थे, फिर भाजपा में शामिल हो गये। नौटियाल जी ने इस पर रोचक टिप्पणी की थी।….जारी।