उत्तराखंड राज्य आंदोलन, भुलाये गये नींव के पत्थर-11
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार* 6 मार्च 2021। बद्री दत्त पांडे के संपादक बनने के बाद ‘अल्मोड़ा अखबार, राष्ट्रीयता और जनपक्षीय सरोकारों का वाहक बन गया था। नतीजन अखबार अंग्रेजों के निशाने पर आ गया। 1918 में अखबार का प्रकाशन बंद हो गया। फिर उन्होंने शक्ति साप्ताहिक शुरू किया।
गढ़वाली, कर्मभूमि से लेकर युगवाणी जैसे अखबारों का स्वतंत्रता संग्राम और टिहरी रियासत से मुक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शहीद श्रीदेव सुमन एक प्रखर पत्रकार थे।
कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पांडे ने सर्वप्रथम 1946 में पृथक पर्वतीय राज्य की ठोस अवधारणा प्रस्तुत की थी। साफ है कि उत्तराखंड राज्य की विचार भूमि बहुत पहले से तैयार हो रही थी।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन को आगे बढ़ाने में कई पत्रकारों का बड़ा योगदान रहा है। राधा कृष्ण कुकरेती, आचार्य गोपेश्वर कोठियाल, श्यामचंद नेगी, द्वारिका प्रसाद उनियाल,शिवानंद नौटियाल, नंदकिशोर नौटियाल, कृपाल सिंह रावत सरोज, शमशेर सिंह बिष्ट,अर्जुन सिंह गुसाईं बड़ी संख्या में।
इनमें द्वारिका प्रसाद उनियाल का नाम आंदोलन के इतिहास के लगभग हर पन्ने पर दर्ज है। उन्ही की पहल पर मसूरी में आयोजित एक सम्मेलन में 25 जुलाई को उत्तराखंड क्रांति दल का जन्म हुआ था।