यहां मंदिर में प्रवेश से पहले दिखाना होगा कोरोना टेस्ट या वैक्सीन लगी होने का प्रमाण
कल आठ जून से कुछ शर्तों के साथ श्रद्धालु भगवान दूधेश्वर नाथ जी के दर्शन कर सकेंगे
गढ़ निनाद ब्यूरो।
गाजियाबाद। गाजियाबाद स्थित बाबा दूधेश्वरनाथ महाराज के दर्शन करने के लिए मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्तों को कोरोना टेस्ट रिपोर्ट अथवा वैक्सीन लगी होने का प्रमाण पत्र दिखाना होगा। यूपी में कोरोना की दूसरी लहर लगभग समाप्ति पर है और राज्य सरकार ने चार जिलों को छोड़कर बाकी 71 जिलों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अनलॉक हुए इन 71 जिलों में भगवान दूधेश्वर की नगरी गाजियाबाद भी शामिल है जहां कण-कण में भगवान दूधेश्वर विराजमान हैं।
आपको बता दें कि महाशिवरात्रि और सावन मास में हर सोमवार को बाबा दूधेश्वर नाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखकर आप हैरान हो जाएंगे। भोर होते ही श्रद्धालुओं का लाइन में लगना शुरू हो जाता है और 6-7 घंटे खड़े रहने के बाद श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन हो पाते हैं। मंदिर परिसर के चारों तरफ चहल पहल और दूधेश्वर महाराज का जयकारा गूंजता रहता है।
गाज़ियाबाद का आम से लेकर खास आदमी बाबा दूधेश्वर महाराज के दर्शन इन दिनों अवश्य करता है। यह सिद्ध पीठ है। किंवदंती है कि लंकापति रावण जब इस सिद्धपीठ से कुछ ही घंटे की दूरी पर अपने पिता ऋषि विश्वेश्वरवा के आश्रम आते तो वह अपने इष्ट भोलेनाथ के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए दूधेश्वर नाथ मंदिर में अवश्य आते थे।
कालांतर में महाप्रतापी शिवजी महाराज ने भी यहां यज्ञ किया था और उनकी यज्ञशाला आज भी सुरक्षित है और वहां अब भी यज्ञ होता है। इसी यज्ञशाला के प्रांगण में आज पाठशाला चलती है, जहां वेदों की शिक्षा दी जाती है।
आपको बता दें कि कल आठ जून से कुछ शर्तों के साथ इसी तीर्थ स्थल में श्रद्धालु भगवान दूधेश्वर नाथ जी के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर के श्री महंत नारायण गिरी महाराज ने श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश के लिए शर्तों के साथ प्रवेश के सख्त निर्देश जारी किए हैं। साथ ही कहा है कि सिर्फ वही श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे जिनके पास कोरोना टेस्ट की 72 घंटे की रिपोर्ट होगी या जिन्होंने कोरोना का टीकाकरण किया है। श्रद्धालु ये प्रमाण दिखाने के बाद ही मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे।
महाराज ने कहा कि मंदिर में श्रद्धालु सादगी से जाएंगे और शिवलिंग नहीं छुएंगे, न ही किसी मूर्ति पर हाथ लगाएंगे। इसके अलावा किसी संत महात्मा के चरण स्पर्श नहीं करने और सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टनसिंग) का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।