नई टिहरी(13) मिनी स्विट्जरलैंड… ** विश्वकर्मा **
विक्रम बिष्ट
नई टिहरी। अटल जी ने दिया है मोदी जी संवारेंगे। उत्तराखंड भाजपा का यह नारा है। बाकी क्या करेंगे… इसको चरेंगे। माफ कीजिए, कांग्रेस भी पीछे नहीं है। यूकेडी वाले भी.. हाय-हाय काश हमको भी मौका दिया होता।
नई टिहरी की स्थिति भी उत्तराखंड से अलग नहीं है । नई टिहरी बनाने वाले और सही मायने में इससे कमाने वाले स्विट्जरलैंड का सपना दिखा रहे थे। पूर्वजों के अल्लंघ्य चट्टानों के सीने चीर कर उत्तराखंड बसाया। इसको देव भूमि बनाने के सौदागरों के मजे हैं।
बेशक दोनों की बुनियाद स्वप्न-संघर्ष है, जिसको साकार करने के लिए “विश्वकर्मा” की जरूरत है। सरकार को हक है कि राष्ट्र हित में जमीन का अधिग्रहण कर सकती है। देश में लोकतंत्र कुछ परिपक्व हुआ तो इसमें कुछ सुधार हुए। देश और इसके विकास के लिए घरबार गंवाने वालों के पुनर्वास की चिंता हुई । नीतियां बनी उच्चस्तर के जीवन के लिए!
टिहरी को नई टिहरी के रूप में पुनः स्थापित करने का इरादा इसी सिलसिले का एक हिस्सा है। जैसा कि हमने पहले भी याद दिलाने की कोशिश की है कि स्विट्जरलैंड सृष्टि के नियम का अंतिम छोर नहीं है। धरती की सुयोग्य और दूरदर्शी संताने उससे भी बेहतर रचना कर सकती हैं ।
नई टिहरी के भूगोल और पर्यावरण में क्या कमी है ? खोट तो सर्वभक्षी सोच में रहा है। खेल के मैदान, आधुनिक भाषा में पार्क, गलियां सब उदरस्थ! आज भी कहीं थोड़ा जमीन बची है, जिसमें सांसे ली जा सके, भूभक्षियों की गिद्ध दृष्टि उस पर भी है। यदि कोई विश्वकर्मा अवतरित होकर नई टिहरी को सुंदर रचना बनाना चाहे तो कहां रचेगा?
हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला तो विख्यात रहा है। लेकिन मोहाली भारत के कौन से प्रदेश में है,बहुतेरे क्रिकेट प्रेमियों को यह भी जानकारी नहीं होगी। जहां कभी एक निजी कंपनी का कैम्प था भागीरथीपुरम के पास, उस खांडखाला पर एक भव्य स्टेडियम क्यों नहीं बन सकता? जाहिर है इस सपने में नई टिहरी और झील पास-पास होंगी।
35 प्रतिशत कमीशन गोटी वाली सड़कों की बजाय हरित पट्टियों से आच्छादित स्थानीय उत्पादों की महक और आत्मनिर्भर जीवन की उमंग से भरपूर झील किनारे रिंग रोड! बहुत कुछ ।
लेकिन सपने को दफन करने वालों की फेहरिस्त में कई अजूबे हैं। उनकी और इनकी अपनी दुनिया है। एक पत्र यूपी की कल्याण सिंह सरकार ने भेजा था, वह टिहरी कभी नहीं पहुंचा। फैक्स रिसीवर अलबत्ता करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया। लेकिन भूख अभी कम नहीं हुई ।