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देर रात मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद बिजली कर्मचारियों की हड़ताल स्थगित

देर रात मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद बिजली कर्मचारियों की हड़ताल स्थगित
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देहरादून। मंगलवार को देर सायं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आश्वासन के बाद प्रदेश में ऊर्जा निगम, उत्तराखंड जल विद्युत निगम और उत्तराखंड पारेषण निगम से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी उत्तराखंड विद्युत-अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आगामी छह अक्टूबर से होने वाली हड़ताल को स्थागित करने का निर्णय ले लिया है।

यहां सचिवालय में उत्तराखण्ड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। इस दौरान कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न समस्याओं से सम्बन्धित विषयों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।

वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने उनकी मांगों के संबंध में सकारात्मक निर्णय लिये जाने की बात करते हुए कहा कि किसी भी समस्या का समाधान हड़ताल से नहीं बल्कि वार्ता से ही संभव है। वार्ता के दौरान इस आन्दोलन के फलस्वरूप कर्मचारियों पर उत्पीड़न की कार्यवाही नहीं किये जाने का भी निर्णय लिया गया है। इस मौके पर मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद उत्तराखण्ड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने अपना आन्दोलन समाप्त करने की घोषणा की है।

इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव ऊर्जा श्रीमती सौजन्या, प्रबन्ध निदेशक दीपक रावत के साथ ही ऑल इंडिया फेडरेशन के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र दूबे, मोर्चा के संयोजक इंसारूल हक के साथ ही अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे

आपको बता दें कि जिला मजिस्ट्रेट, टिहरी गढ़वाल इवा आशीष श्रीवास्तव ने उत्तराखण्ड विद्युत अधिकारी / कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा द्वारा 06 अक्टूबर 2021 से हड़ताल में जाने के मध्य नजर धारा-144 के आदेश जारी कर दिए थे।

हालांकि आदेश में साफ था कि दिनांक 06 अक्टूबर 2021 से विद्युत विभाग की हड़ताल की समाप्ति की तिथि तक प्रभावी रहेगा, बशर्ते यदि इससे पूर्व इसे वापस न लिया जाय।

जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी आदेशानुसार जनपद टिहरी के क्षेत्रान्तर्गत विद्युत विभाग के कार्यालय एवं सब स्टेशनों / विद्युत उप केन्द्रों से 200 मी० की परिधि के अंतर्गत किसी प्रकार की अवांछनीय गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी गयी थीं।

आदेश का उल्लंघन वर्तमान प्रवृत्त अन्य कानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दंडनीय होने के कारण भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के अन्तर्गत दण्ड का प्रावधान किया गया था।


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Govind Pundir

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