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भागवत कथा की पूर्णाहुति पर बताई गायत्री मंत्र की महिमा

भागवत कथा की पूर्णाहुति पर बताई गायत्री मंत्र की महिमा
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त्रिदेवों की उपास्य है गायत्री माँ — नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

चण्डीगढ़। चैत्रनवरात्र के उपलक्ष्य में अष्टभुजी माता मंदिर खुडाअलीशेर में चल रही नौ दिवसीय देवी भागवत कथा की पूर्णाहुति रविवार को हुई। अंतिम दिन कथा सुनने के लिए नगर सहित आसपास गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। व्यासपीठ से कथाकार नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने गायत्री मंत्र की महिमा बताई। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र का जाप करने से देवत्व का भाव उत्पन्न होता है।
सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गायत्री मंत्र की साधना करनी चाहिए। ये मंत्र सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति करने वाला है। इसका जाप करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार भी आता है। गायत्री परिवार के प्रणयदाता युगपुरुष श्रीराम आचार्य ने इस मंत्र का प्रचार प्रसार किया।

गायत्री को वेदों का निर्माण करने वाली कहा गया है। ऐसे में गायत्री की आराधना करने वाले व्यक्ति को वेदों को सुनने के बराबर फल मिलता है। कथा के दौरान मुझे मेरी मस्ती कहां लेकर आई, तुम हमारे हो गुरुजी हम तुम्हारे है, ध्यान अंबिका मुक्ति अंबिका, गुरु मुख में रोज दिवाली, जय अंबे जय जगदंबे मातृ स्वरुपी जय जय जगदंबे जैसे भजन भी सुनाएं।

संत रसिक ने कहा कि इस दुनिया में लोग मोह-माया में फंसे हुए हैं। बल्कि झूठे मोह-माया के बंधन से दूर होकर मां भगवती की आराधना करनी चाहिए। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि दक्ष के हवन में शिव को नहीं बुलाया गया था। तब वह हवन कैसे पूर्ण होता। अपने पिता के घर माता सति, पति के मना करने पर भी जब हवन में पहुंची और देखा की वहां शिव का कोई स्थान नहीं है। ऐसे में सती ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। जिस पर शिव ने तांड़व किया। तब भगवान विष्णु ने सति के शरीर के सुदर्शन चक्र से 52 टुकड़े कर दिए। वह 52 टुकड़े इस पृथ्वी पर जहां-जहां गिरे वहां-वहां शक्ति पीठ स्थापित हो गए।
उन्होंने बताया कि भारत में कुल 52 शक्तिपीठ हैं। यज्ञ में विश्व कल्याण की भावना हो तो यज्ञ सफल नहीं होता। हमारी वैदिक संस्कृति भी यहीं कहती है कि सर्वे भवंतु सुखी न:।
रसिक महाराज ने कहा कि भारत जैसा देश विश्व में दूसरा नहीं है। जिस देश में 12 ज्योर्तिलिंग, 52 शक्तिपीठ और मां भगवती गंगा हो वैसा ओर कोई दूसरा देश कैसे हो सकता है। यह भूमि शक्तिपीठों, दानवीरों और शहीदों की भूमि है।  


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Govind Pundir

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