Ad Image

हिमालयी क्षेत्रों में सतत और समावेशी विकास की आवश्यकता है- मुख्यमंत्री

हिमालयी क्षेत्रों में सतत और समावेशी विकास की आवश्यकता है- मुख्यमंत्री
Please click to share News

सीएम धामी ने परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में किया प्रतिभाग

पौड़ी-ऋषिकेश। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने श्री हरि मंदिर रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। हिमालय के संरक्षण हेतु शपथ दिलवाई एवं श्रीमदभगवद्द् गीता के ऊपर संक्षेप व सरल भाषा में लिखी गई पुस्तक का विमोचन भी किया।

इस दौरान मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय के प्राकृतिक जल स्रोतों धारों, नौलों के अध्ययन, संरक्षण और सवंर्धन के लिए एक कमेठी के गठन किए जाने की बात कही, जो विभिन्न प्रयासों से हिमालय के प्राकृतिक जलस्रोतों को बचाने और संरक्षित करने का बहुमुल्य सुझाव् देगी।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण में हम सभी की भागीदारी जरूरी है। सरकार के दोनों दायित्व तय हैं, जहां एक ओर हिमालय के संरक्षण के प्रति गंभीर रहना है, तो दूसरी ओर विकास के प्रति भी उतना ही दायित्व निभाना है, ताकि हिमालय का पर्यावरण सुरक्षित रहे और यहाँ के निवासियों की आर्थिकी भी। उन्होंने समूचे हिमालय से जुड़े राज्यों के लिए यहाँ की अलग भौगोलिक और स्थानीय परिस्थिति के अनुकूल अलग विकास मॉडल की पैरवी करते हुए आम जनमानस से हिमालय के पर्यावरण के संरक्षण में सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमने नीति आयोग की बैठक में भी हिमालय के महत्वपूर्ण सरोकारों से जुड़े मुद्दों को साझा किया और इस संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव और प्रस्ताव साझा किये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में सतत और समावेशी विकास की आवश्यकता है। इसीलिए हम इकॉलोजी एवं इकोनॉमी दोनों में संतुलन साधकर चल रहे हैं। जलवायीय बदलावों से सिर्फ प्रकृति ही नहीं बल्कि समाज भी प्रभावित हो रहा है। हम अपने समन्वित प्रयासों और भागीदारी से ही पर्यावरणीय बदलाव की चुनौती से पार पा सकते हैं।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालय का किसी राज्य व देश के लिये ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये महत्व है। हिमालय के संरक्षण का दायित्व हम सभी का है। हिमालय के संरक्षण के लिये यहां की संस्कृति, नदियों व वनों का संरक्षण जरूरी है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण उत्तराखण्ड वासियों के स्वभाव में है। हरेला जैसे पर्व प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच का ही उदाहरण है। पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल, जंगल, जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की जरूरत है। सामाजिक चेतना तथा समेकित सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या के समाधान में सहयोगी बन सकते हैं।

परमार्थ निकेतन के प्रमुख श्री स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पहाड़ी राज्य का प्रत्येक व्यक्ति हिमालय का प्रहरी है। उन्होंने कहा कि हिमालय जैसे विराट भूभाग का संरक्षण ही असल मायनों में हमारे भविष्य का संरक्षण है। कहा कि गंगा नदी , जलाशय, प्राकृतिक संसाधनों, ग्लेशियर का संरक्षण के साथ ही हिमालय का संरक्षण जरूरी है और मां गंगा का अस्तित्व हिमालय एवं ग्लेशियर के अस्तित्व पर आधारित है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री धामी को एकल हनुमान सम्मान स्वरूप गदा भेंट किया और कहा मुख्यमंत्री श्री धामी ने पर्यावरण के संरक्षण में हनुमान की तरह संकल्पित होकर अथक परिश्रम कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उत्तराखंड का वातावरण एवं पर्यावरण पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता है। उन्होंने कहा यहां आने से नई ऊर्जा मिलती है। हिमालय के संरक्षण के साथ ही जीवनदायिनी मां गंगा का संरक्षण भी बेहद जरूरी है एवं पर्यावरण के संरक्षण में सभी की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने हर शुभ कार्य से पहले पौधारोपण एवं उत्तराखंड के साथ ही पूरे भारत को प्लास्टिक मुक्त किए जाने हेतु आग्रह किया।

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने ग्लोबल वार्मिंग एवं बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रकृति पर्यावरण के साथ ही हिमालय ग्लेशियर का संरक्षण से बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में वन विभाग जंगलों और प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के कार्य में जुटा हुआ है। कहा हम सभी एवं आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण हिमालय के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संकल्पबद्ध होना पड़ेगा ।

पद्मश्री डॉ अनिल जोशी ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण हेतु चर्चा, व विचार – विमर्श एवं मंथन यहां के निवासियों, एनजीओ, शोध संस्थानो द्वारा गंभीरता से किया जाना चाहिए। कहा कि हिमालय और यहां के निवासियों को अलग-अलग नजरिए से नहीं देखना चाहिए बल्कि हिमालय और हिमालय वासियों का अस्तित्व एक दूसरे से गहराई से जुड़ा हुआ है, इसलिए हमें ऐसी नीति की आवश्यकता है जिसमें हिमालय और हिमालय वासी दोनों का ही सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा हमारा भविष्य तभी सुरक्षित है, जब हिमालय सुरक्षित होगा।

इस अवसर पर विधायक रेनू बिष्ट, विधायक थराली गोपाल राम टम्टा, जिला अधिकारी पौड़ी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी जसवंत सिंह चौहान , एकल भारत लोक शिक्षा परिषद से नीरज राय एवं अन्य लोग मौजूद रहे।


Please click to share News

Garhninad Desk

Related News Stories