आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को आमजन मानस की चिकित्सा पद्धति एवं रास्ट्रीय चिकित्सा पद्धति घोषित करवाना लक्ष्य-डा. दिनेश जोशी
** इस वर्ष आयुर्वेद दिवस की थीम-“हर दिन हर घर आयुर्वेद “रखी गयी है **
टिहरी गढ़वाल 22 अक्टूबर 2022। भारत सरकार के निर्देशानुसार “आयुर्वेद दिवस” 23 अक्टूबर धनतेरस के दिन मनाने के निर्देश दिये गये हैं।भगवान धनवंतरि जी आरोग्य के देव हैं जिनका अवतरण समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लिए हुआ।
आरोग्य के देवता भगवान धनवंतरि जी देवताओं के वैद्य एवं मानवजाति के कल्याण हेतु अवतरित हुये।गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत आयुर्वेद को निरंतर अग्रसरित किया ताकि मानव कल्याण हेतु चिकित्सा पद्धति का संचार निरंतर होता रहे।आयुर्वेद अनादि एवं शाश्वत है- जिसका आदि ना अन्त है।
इसी परंपरा का निर्वहन आयुर्वेद चिकित्सा दम्पति डा दिनेश जोशी एवं डा प्रीति जोशी द्वारा विगत 12 वर्षों से किया जा रहा है। डा दिनेश जोशी (आयुर्वेद न्यूरोपैथी एवं पंचकर्म विशेषज्ञ)द्वारा बताया गया कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में असाध्य रोगों का इलाज भारतीय चिकित्सा परंपरा के अनुसार छिपा है।वात गठिया नसों,जोड़ों,मानसिक रोगों त्वचा एवं उदर विकार में आयुर्वेद का कोई तोड नहीं है बस केवल हमें उचित चिकित्सक से एवं आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान पर भरोषा कायम करना होगा। आयुर्वेद पंचकर्म एवं औषधी विशेषज्ञ डा प्रीति जोशी (MD आयुर्वेद PhD शोध छात्रा) ने बताया कि हमारे आस पास अमूल्य औषध भण्डार है जिसकी जानकारी आम जनमानस को होना आवश्यक है।पहाड़ों एवं मैदानी इलाकों में लगातार आयुर्वेद परंपरा को आगे बढाने के प्रयास “हिमालया संजीवनी आयुर्वेदा”की ओर से जारी हैं एवं आयुर्वेद को आमजनमानस की चिकित्सा पद्धति बनाने का उददेश्य की ओर लगातार प्रयत्नरत हैं।