कविता: पेड़ पौधे
धरती का श्रृंगार है ये ,
पशुओं का आहार है ये ,
वायु नीर से जीवन है
जीवन का आधार है ये !
धरती का श्रृंगार है ये ।
शीतल छाया वायु सुहानी,
इनसे बरसे मेघा रानी!
प्यास बुझाते धरती की ये,
सरिता को उपहार है ये !
धरती का श्रृंगार है ये ।
पंछी के ये रैन बसेरे,
खग के डेरे साझ सबेरे !
वन की गरिमा शैल सुहाने
गिरि के सिर का ताज है ये
धरती का श्रृंगार है ये ।
जलवायु से मानव जीवन,
शीत छाव भी करते अर्पण !
वृक्ष मानव के पालनहार ,
कोई रोको इनका संहार!
धरती का श्रृंगार है ये ।
मुश्किल जीना वृक्षों के बिन,
जीवक का दुर्लभ है जीवन !
मत घटाओं वृक्षों को ,
पेड़ लगाओ जीवन को,
वायु का संचार है ये !
जीवन का आधार है ये ।
धरती का श्रृंगार है ये ।।
|| देवेंद्र रावत ||