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तहसील कंडीसौड़ के अंतर्गत ग्राम धरवालगांव, सुनारगांव, भंगर एवं कंडारगाँव का पूर्ण विस्थापन हो-जोत सिंह बिष्ट 

तहसील कंडीसौड़ के अंतर्गत ग्राम धरवालगांव, सुनारगांव, भंगर एवं कंडारगाँव का पूर्ण विस्थापन हो-जोत सिंह बिष्ट 
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टिहरी गढ़वाल 21 जनवरी । श्री जोत सिंह बिष्ट प्रदेश संगठन समन्वयक आम आदमी पार्टी उत्तराखंड ने जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल को तहसील कंडीसौड़ के अंतर्गत ग्राम धरवाल गांव, सुनारगांव, भंगर एवं कंडारगाँव के पूर्ण विस्थापन को लेकर पत्र लिखा है।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि पवित्र धाम गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए डोईवाला से बनाए जाने वाली रेलवे लाइन का जो समरेखण संज्ञान में आ रहा है उसके अनुसार प्रस्तावित कंडिसौड़ रेलवे स्टेशन जिसकी लंबाई 900 मीटर और चौड़ाई 100 मीटर बताई जा रही है के निर्माण के लिए ग्राम धरवालगांव एवं ग्राम सुनारगांव के सभी परिवारों की 80% भूमि को अधिग्रहण किए जाने की प्रबल संभावना है। ऐसा होने की दशा में उक्त दोनों गांव के सभी परिवार पूरी तरह से भूमिहीन होने की स्थिति में आने वाले हैं।

आपको अवगत कराना चाहते हैं कि देश की आजादी के बाद सबसे पहले उपरोक्त चारों गांव के काश्तकारों की जमीन वर्ष 1954 में टिहरी उत्तरकाशी मोटर मार्ग के लिए अधिग्रहण की गई। दूसरी बार 90 के दशक में हमारे इन गांव की भूमि चंबा धरासू मोटर मार्ग के लिए अधिग्रहण की गई। तीसरी बार फिर से 90 के दशक में ही इन गांव के सभी परिवारों की कृषि भूमि टिहरी बांध के जलाशय के लिए अधिग्रहण की गई। चौथी बार फिर से 2019 में चारधाम यात्रा मार्ग के  निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की गई। अब इन चार  गांव की बची खुची जमीन को गंगोत्री यमुनोत्री रेल मार्ग के प्रस्तावित कंडीसौड़ रेलवे स्टेशन तथा सरोट के निर्माण के लिए अधिग्रहण किया जाने वाला है।

बिष्ट ने लिखा है कि एक राजस्व ग्राम की जमीन पांच अलग-अलग कारणों से अलग-अलग समय पर अधिग्रहण किए जाने के कारण लोगों को तत्कालीन सर्किल रेट के अनुसार मुआवजा जरूर मिला, लेकिन उनको भूमिहीन करने की स्थिति में लाया गया। टिहरी बांध के जलाशय के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान जिन परिवार की भूमि 50% से अधिक अधिग्रहण की गई उनको विस्थापन का पात्र मानते हुए प्रति परिवार 2 एकड़ जमीन मैदानी क्षेत्र में दी गई। क्योंकि ग्राम धरवालगांव,सुनारगांव, भंगर व कंडारगाँव के सभी परिवारों की जमीन अलग-अलग कारणों से अलग-अलग समय पर अधिकृत किए जाने के कारण हर समय 50% से कम भूमि अधिग्रहित की गई इसलिए विस्थापन की पात्रता का लाभ नहीं मिला। अब उनकी जमीन रेलवे स्टेशन के लिए ली जाएगी तो लगभग सभी परिवार भूमिहीन की श्रेणी में आ जाएंगे। इन परिवारों को भूमि का मुआवजा जरूर मिलेगा लेकिन क्योंकि इनमें से अधिकांश परिवार गांव में निवास करने वाले हैं, खेती बाड़ी करने वाले हैं और नौकरीपेशा ना होने के कारण इनका जीवन यापन केवल और केवल खेती पर होता है, तो ऐसे में इनकी जमीन को अधिग्रहण करके उसके बदले पैसा देकर के भूमिहीन कर देना औचित्यपूर्ण नहीं है।

हमारी मांग है कि भूमि के बदले मुआवजा देने के बजाय टिहरी बांध विस्थापितों की तर्ज पर ग्राम धरवालगांव सुनारगांव, भंगर व कंडारगाँव के सभी परिवारों को भूमि के बदले कृषि भूमि आवंटित की जाए ताकि इनकी जीवन यापन का साधन सुरक्षित रह सके।


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Govind Pundir

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