सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं – नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
देहरादून 23 सितम्बर। अजबपुर कंला स्थित प्राचीन शीतला माता मंदिर में प्रवचन करते हुए नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि जगत से अपेक्षा रखकर की गई कोई भी सेवा एक ना एक दिन निराशा का कारण अवश्य बन जाती है। यदि जीवन में अवसर मिले तो सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी मत रखना क्योंकि सेवा का वास्तविक मूल्य भगवान ही दे सकते हैं, इंसान नहीं।
यदि ये दुनिया सेवा का मूल्य अदा कर भी दे, तो समझ जाना वो सेवा नहीं हो सकती। सेवा कोई वस्तु नहीं है, जिसे खरीदा अथवा बेचा जा सके। सेवा पुण्य कमाने का साधन है, प्रसिद्धि कमाने का नहीं। हमारे जीवन की श्रेष्ठ स्थिति तो यही है कि अपेक्षा रहित होकर सेवा की जाए।
दुनिया की नजरों में सम्मानित होना बड़ी बात नहीं, प्रभु की नजरों में सम्मानित होना बड़ी बात है। सुदामा जी के जीवन की सेवा-समर्पण का इससे श्रेष्ठ फल क्या हो सकता था , दुनिया जिन ठाकुर के लिए दौड़ती है, वो सुदामा जी के लिए दौड़े हैं । सेवा करते रहो प्रभु के हाथों से एक न एक दिन उसका फल अवश्य मिलेगा। कथा के अंत में मंदिर के पुजारी रमेश डबराल ने सभी आए हुए भक्तों का धन्यवाद किया।