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ईश्वर से प्रेम करें, वासनाओं के त्याग से ही प्रभु से मिलन संभव- नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

ईश्वर से प्रेम करें, वासनाओं के त्याग से ही प्रभु से मिलन संभव- नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
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रायवाला 5 नवम्बर। देश के अमर शहीदों की स्मृति में सैनिक कालोनी रायवाला में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के समापन सत्र में नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा बड़े से बड़े पापियों को भी पापमुक्त कर देती है। जो व्यक्ति भागवत कथा आत्मसात कर लेता है, वह सांसारिक दुखों से मुक्त हो जाता है।

कथावाचक ने कहा कि जब जब भगवान के भक्तों पर विपदा आती है तब भगवान उनके कल्याण के लिए सामने आते हैं। परीक्षित को भवसागर से पार लगाने के लिए अब भगवान शुकदेव के रूप में प्रकट हो गए और श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर परीक्षित को अपने चरणों में स्थान प्रदान किया। उन्होंने महाभारत के कई प्रसंग भी सुनाए। कर्ण और भगवान श्रीकृष्ण के बीच संवाद को बताते हुए उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान जब कर्ण की भगवान कृष्ण से चर्चा हुई तो कर्ण ने कहा कि मृत्यु के बाद ऐसी जगह मेरा दाह संस्कार हो जहां आज तक किसी का नहीं हुआ। भगवान ने उसकी मृत्यु के बाद कर्ण का अंतिम संस्कार अपने हाथों से किया। कृष्ण और विदुर का प्रसंग भी सुनाया गया।
कथावाचक ने कहा कि नारायण की भक्ति में ही परम आनंद मिलता है। उसकी वाणी सागर का मोती बन जाता है। भगवान प्रेम के भूखे हैं। वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन संभव है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि वासना को वस्त्र की भांति त्याग देना चाहिए। भागवत कथा का जो श्रवण करता है भगवान का आशीर्वाद बना रहता है। इस दौरान यज्ञाचार्य राधे रमन चमोली, आचार्य मोहन गौड़, सुरेन्द्र सिंह विष्ट, आरती विष्ट, विपिन विष्ट, साध्वी माँ देवेश्वरी, रजनी चंदोला एवं बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।


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Govind Pundir

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