अगर मुर्दा शहर देखना है तो घनसाली आइए
घनसाली से लोकेन्द्र दत्त जोशी की विशेष रिपोर्ट
आजादी के बाद दुनिया के मानचित्र पर गांधीवादी आन्दोलन देने वाला देश का अगर कोई राज्य है तो उत्तराखण्ड है, जिसका नेतृत्व समय-समय पर घनसाली की माटी के सपूतों ने किया। किंतु राज्य बनने के बाद यदि आपको किसी जीते जागते शहर को आज अगर मुर्दा देखना है तो घनसाली के किसी भी कोने में खड़े होकर जिंदा लाशें, थके हुए जनप्रतिनिधि और लचर प्रशासनिक व्यवस्था घनसाली आकर देख सकते है। जहां 14 जनवरी से स्थाई रूप से उपजिलाधिकारी न होने से न्यायिक कार्य से लेकर जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र तक नहीं बन पा रहे हैं। एक मात्र महिला उप जिला मजिस्ट्रेट सोनिया पंत कीर्ति नगर तहसील से घनसाली तहसील का प्रभार संभालते हुए प्रशासनिक कार्यों का संपादन कर रही हैं।
स्वास्थ्य व्यवस्थाएं अपने आप में इतनी लचर और बीमार है कि सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं दे सकते हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश के समय के बने भिलंगना नदी के दोनों ओर बसे राजकीय एलोपैथिक अस्पताल में कोई चिकित्सक नियुक्त नहीं है, जबकि उक्त एलोपैथिक चिकित्सालय आवासीय होने के बावजूद भी उक्त चिकित्सालय राज्य बनने के 23 वर्षों बाद भी अपग्रेड नहीं हो सका और उक्त चिकित्सालय में महिला एवं पुरुष चिकित्सक के पद रिक्त हैं। जिससे प्रसव वेदना से पीड़ित माताओं का प्रसव कालीन वर्ष भय और शंकाओं के संकट से गुजरता है। हजारों की आबादी वाला नगर पंचायत घनसाली में एकमात्र संसाधन विहीन पिलखी चिकित्सालय पर ही प्रसव वेदना से निजात पाने का जोखिम भरा स्वास्थ्य केंद्र है, किंतु मजाल है कि कोरी घोषणा के अलावा कोई जनप्रतिनिधि संकटकालीन समय से जीवन बचाने के पिलखी, बेलेश्वर के अलावा किसी भी अस्पताल को सुसज्जित मशीनों के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्तियां क्षेत्र के अस्पतालों में कर सके हों।
विकासखण्ड भिलंगना की बात करें तो बादशाही इतनी है कि यह विकासखण्ड छात्र नेताओं से राज नेताओं तक भरा पड़ा है जिनका विकासखण्ड मुख्यालय से मिलने वाली धनराशि खर्च करने तक दायरा सीमित है। 187 ग्राम प्रधान, 39 क्षेत्र पंचायत, 10 जिला पंचायत सदस्य के अलावा ब्लॉक प्रमुख है और लोकसभा की प्रबल दावेदारी करने वाली लोकप्रिय नेता जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सोना सजवाण भी नगर पंचायत की मूल निवासी है। ब्लॉक प्रमुख श्रीमती बसुमति घणाता के अलावा डबल इंजन सरकार के दो बार के निर्वाचित विधायक शक्ति लाल शाह का भी गृह क्षेत्र है और विपक्ष के दमदार पूर्व विधायक भीमलाल आर्य सहित कई जनप्रतिनिधि हैं लेकिन पक्ष एवं विपक्ष के नेताओं का दृष्टिकोण एक जैसा दिखता है। किंतु अधिकांश जनप्रतिनिधि भ्रष्ट व्यवस्था के चलते अविवेकशील हैं जिसका आलम यह है कि विकासखंड मुख्यालय में किसी तरह की कोई सकारात्मक व्यवस्था देखने को नहीं मिलती है।
घनसाली, प्रदेश का सबसे बड़े विकासखण्ड का मुख्यालय है, जिसका अपना सुलभ शौचालय तक नहीं है और सार्वजनिक रूप से पीने के पानी तक की कोई उचित व्यवस्था नहीं है, पुस्तकालय के अलावा खेल के मैदान आजादी के इतने वर्षों तक भी नहीं बन पाया है, जबकि विकास कार्यों के नाम लाखों के धनराशि की बंदरबांट होती रहती है। जिसमें पक्ष विपक्ष किसी कार्य योजना को अंजाम देने के बजाय खडींचा मार्गों की स्वीकृति के लिए अधिकारियों के समक्ष मिमियाते रहते हैं। पूरी विधानसभा के अन्दर सत्ता की हनक में यदि पूरा सत्ता पक्ष है तो सम्पूर्ण विपक्ष भीष्म सैय्या में दिन काट रहा है। पुलिस थाना है किंतु संसाधनों के अभावों और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। दैवीय आपदा वाला यह भिलंगना क्षेत्र एकमात्र थाने की दो तहसीलों में पुलिस थाने के पास गिना चुना एकमात्र वाहन है जिसके माध्यम से आपदा की संकटकालीन घड़ी से निपटने में पुलिस प्रशासन का जवान असहाय रहता है।
घनसाली शहर जो कि पूर्व सांसद त्रेपन सिंह नेगी, आजादी के बाद के पहले निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष सत्ये सिंह राणा के अलावा, उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन सहित झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य के गठन करवाने में अपना नेतृत्व से ताकत देने वाले पहाड़ के गांधी श्री इंद्रमणि बडोनी की धरती है, जिनके नेतृत्व में सत्य अहिंसा और चरित्रवान समाज बसता था, किंतु सत्ता के लोभ और लालच में सभी जिम्मेदार प्रतिनिधि अपने पूर्वजों के संघर्ष को भूल चुके हैं और पितरों की संघर्ष वेदना वाली आत्माएं मिलकर आपस में रोती होंगी।
अब अगर नगर पंचायत घनसाली के स्ट्रीट लाइट के विद्युतीकरण के संबंध में कहें तो पूर्व में माननीय जिला जज श्री योगेश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में वृहद साक्षरता शिविर के आयोजन से पूर्व नगर पंचायत के अन्तर्गत सड़कें और स्ट्रीट लाइट से नगर पंचायत पर चार चांद पूर्णिमा की रात की तरह चमकते रहे किंतु शिविर के समापन के पश्चात नगर पंचायत के सड़क मार्ग अमावस्या की रात में तब्दील हो गए। एक माह में ही खरीदी हुई स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी आखिर एक माह के भीतर ही सारी लाइटें खराब कैसे हो जाती है? यह सोचनीय एवं जांच का विषय है और नगर पंचायत के आम नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि विद्युतीकरण पर कुल कितना खर्च किया गया?
नगर पंचायत के निर्वाचित बोर्ड भंग होते ही प्रगतिशील विचारों के शैलेंद्र नेगी पी.सी.एस. को नगर प्रशासक नियुक्त किया गया और सकारात्मक कार्य शुरू भी हुए। उनके द्वारा मृत पड़ी बिजली की लाइन ठीक करवाई गई। पुस्तकालय की स्थापना तो की गई लेकिन उसका दरवाजा कमजोर मानसिकता के कारण वर्तमान में बंद पड़ा हुआ है। इसके साथ ही
उपजिलाधिकारी नेगी के द्वारा सड़क मार्ग की मरम्मत सहित तहसील और नगर पंचायत क्षेत्र में कई सुधारात्मक कार्य किए गए। यद्यपि भेदभाव पूर्ण नीति से उनके द्वारा भी वा और बार एसोसिएशन के बार-बार अनुरोध करने पर बार भवन पर पेंटिंग नहीं की। उपजिलाधिकारी शैलेन्द्र नेगी के प्रति प्रताप नगर तहसील के आम जन मानस में भी ख्याति लब्ध है। किंतु उनका स्थानांतरण एक माह के अन्दर होने से तहसील प्रशासन की लचर कानून व्यवस्था एवं जनता के प्रति मनमाना व्यवहार और जनता को प्रतिदिन दुःखी और उत्पीड़न किया जाना पूर्व की भांति आम बात है। पंजीकृत विक्रय पत्रों, विवाह प्रमाणपत्रों, बेरोजगार युवाओं के हैसियत प्रमाण पत्र, भार मुक्त प्रमाण पत्र सहित अन्य पंजीकरण दस्तावेजों पर महीनों महीनों तक जारी न किया जाना और इसके लिए हफ्तों-महीनों तक तहसील दफ्तर के चक्कर काटने पर काश्तकार को भारी उत्पीड़न सहन करना पड़ रहा है। जिसके संबंध में बार संघ घनसाली के सदस्यों के द्वारा उच्च अधिकारियों से वार्ता करने पर भी अपमान का सामना करना पड़ रहा है। और पंजीकरण किया गया एक दिन का दस्तावेज महीनों बीतने पर भी नहीं मिलता है और दस्तावेजों के पंजीकरण किए जाने वाले दस्तावेजों पर शासन के मानकों के विपरीत अनावश्यक कागजों के नाम पर अनावश्यक रूप से तंग किया जाता है।
यह बात स्पष्ट करने योग्य है कि घनसाली नगर पंचायत के अन्तर्गत अधिकांश भाग जंगल से घिरा हुआ है, और भिलंगना नदी के दोनों ओर की आबादी के बाद भिलंगना नदी पूरे नगर पंचायत क्षेत्र की सीमा में बहती है और चारों तरफ चीड का जंगल होने के कारण बाघ व अन्य हिंसक जानवर पानी पीने के लिए आबादी क्षेत्र से नदी तटों पर जाते हैं और नगर क्षेत्र के अंतर्गत पुलिस थाना, राज्य का सबसे बड़ा विकासखंड मुख्यालय की आवासीय कॉलोनी, इसके अलावा तहसील घनसाली का मुख्यालय है, जहां बाजार से आने जाने के लिए जंगल के बीच मोटर एवं पैदल मार्ग है। ऐसे में विद्युत स्ट्रीट लाइट का बंद रहना पुलिस गश्ती दल के साथ-साथ आम जन मानस का आवागमन करना जोखिम भरा है। साथ ही स्कूल कॉलेज के बच्चे देर सबेर आवागमन करते हैं और शादी-विवाह में सम्मिलित होकर देर रात्रि में आना जोखिम भरा बना रहता है इसलिए भी बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट को ठीक किया जाना आवश्यक है।
अब देखना यह होगा कि क्या इन तमाम समस्याओं को लगातार उजागर किये जाने के बावजूद भी घनसाली बाजार के अंतर्गत नगर पंचायत क्षेत्र में दो-दो विधानसभा (प्रताप नगर एवं घनसाली) के केंद्र स्थल सहित तहसील कार्यालय पुलिस थाना क्षेत्र 182 ग्राम पंचायतों का विकासखण्ड मुख्यालय के अलावा यात्रा क्षेत्र के मुख्य व्यापारिक केंद्र में उपजी तमाम समस्याओं का निदान होता है अथवा जनता को जन संघर्ष का रास्ता अख्तियार करने को मजबूर होना पड़ेगा। क्या तब भी पक्ष और विपक्ष की राजनीति की भूमि में रहने वाले नेतागण के साथ पत्रकार वर्ग, शिक्षक संघ के अलावा बार एसोसिएशन अन्याय एवं शोषण दोहन के खिलाफ लामबंद होंगे यह आने वाला भविष्य तय करेगा।
(लेखक के अपने विचार हैं, संपादक का इससे सहमत/असहमत होना जरूरी नहीं है)