पांगू-अस्कोट से आराकोट अभियान दल का बूढ़ा केदार क्षेत्र में भव्य स्वागत

पांगू-अस्कोट से आराकोट अभियान दल का बूढ़ा केदार क्षेत्र में भव्य स्वागत
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( घनसाली से लोकेंद्र जोशी की रिपोर्ट )

टिहरी गढ़वाल, 26 जून: पांगू-अस्कोट से आराकोट अभियान के तहत प्रोफेसर शेखर पाठक के नेतृत्व में 22 सदस्यीय अभियान दल का श्री बूढ़ा केदारनाथ धाम पहुंचने पर बूढ़ा केदार मंदिर समिति एवं लोक जीवन विकास भारती बूढ़ा केदार, साथ ही स्थानीय नागरिकों द्वारा फूल मालाएं पहनाकर भव्य स्वागत किया गया।

यात्री दल में प्रमुख रूप से प्रोफेसर शेखर पाठक, ललिता प्रसाद भट्ट, और विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित लेखक एवं पत्रकार डॉ. अरुण कुकशाल सहित 22 सदस्य शामिल हैं।

यात्री दल के सदस्यों ने बाबा बूढ़ा केदार के दर्शन किए और क्षेत्र के सांस्कृतिक रीति-रिवाजों, ताल, बुग्याल और धार्मिक पर्यटन के संबंध में जानकारी संकलित की। मंदिर के पुजारी पूर्ण नाथ एवं शम्भू नाथ ने उन्हें मंदिर की महत्ता और क्षेत्र के बारे में जानकारी दी।

अभियान का मुख्य उद्देश्य अस्कोट पिथौरागढ़ से आराकोट उत्तरकाशी तक उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों का दशकीय अध्ययन करना है, जो राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज होगा।

स्वागत समारोह में पर्यावरणविद और समाजसेवी सुरेश भाई, बूढ़ा केदार मंदिर समिति अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह नेगी, भाजपा नेता और पूर्व प्रधान धीरेन्द्र नौटियाल, समाजसेवी जय प्रकाश राणा, शिक्षक किशोरी लाल, दयाराम नगवाण, लोक जीवन विकास भारती के संचालक/मंत्री जयशंकर नगवाण, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य हिम्मत सिंह रौतेला, पूर्व प्रधान बावन सिंह विष्ट, श्रीमती बिमला बहन, श्रीमती अनीता नगवाण, चन्द्रवीर नगवाण, किशोरी लाल, सोबन सिंह रावत सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

स्वागत समिति ने दल को भिलंगना घाटी के संसाधनों, धार्मिक, साहसिक एवं नैसर्गिक पर्यटन की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी और बताया कि बूढ़ा केदार क्षेत्र चारधाम पैदल यात्रा का मुख्य पड़ाव रहा है। पैदल मार्गों को मोटर मार्ग से न जोड़ने और वन अधिनियम के कारण पारंपरिक स्लेट और रिंगाल उद्योग बंद होने से स्थानीय आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा, जिससे बेरोजगारी बढ़ी और लोग पलायन के लिए मजबूर हुए।


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Govind Pundir

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