जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के मार्गदर्शन में स्वरोजगार के क्षेत्र में सफलता की नई इबारत लिखते युवा

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के मार्गदर्शन में स्वरोजगार के क्षेत्र में सफलता की नई इबारत लिखते युवा
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टिहरी गढ़वाल, 24 जून 2024। कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली से अपने गांव नकोट लौटे दिलवीर सिंह मखलोगा ने जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के मार्गदर्शन और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर स्वरोजगार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। ग्राम नकोट, विकासखण्ड चम्बा के निवासी दिलवीर ने पोल्ट्री फार्म, सब्जी उत्पादन और बागवानी में काम कर अपने आजीविका के साधनों को सशक्त बनाया है।

पोल्ट्री फार्मिंग में सफलता:
वित्तीय वर्ष 2022-23 में दिलवीर को पशुपालन विभाग से राज्य सेक्टर में ब्रायलर फार्म-मदर पोल्ट्री यूनिट की स्थापना हेतु 15 हजार रुपए और छः ब्रायलर चिक्स बैच खरीद हेतु 45 हजार रुपए, कुल 60 हजार रुपए की सब्सिडी मिली। इस धनराशि से उन्होंने 500 क्षमता का पोल्ट्री फार्म बनाया और धीरे-धीरे अपनी क्षमता बढ़ाई। वित्तीय वर्ष 2023-24 में पशुपालन विभाग ने उन्हें जिला योजना के तहत बैकयार्ड पोल्ट्री लिंकज से जोड़ा। इस योजना के तहत दिलवीर को एक माह के ब्रायलर चिक्स 70 रुपए प्रति चिक्स की दर से बेचने का मौका मिला, जिससे उन्होंने 6 बैच में कुल 3 लाख 26 हजार रुपए का मुनाफा कमाया।

अन्य योजनाओं का लाभ:
श्री मखलोगा को पशुपालन विभाग से बकरीपालन के लिए भी सहायता मिली, और मनरेगा से एक वाटर टैंक बनाने की सुविधा प्राप्त हुई। वर्तमान में वह 50 से अधिक डबल एफ जी प्रजाति के मुर्गीपालन कर रहे हैं। पोल्ट्री फार्म में उन्होंने 2 बुखारी टेम्परर्स लगाए हैं, जिससे मुर्गियों का तापमान नियंत्रित रहता है। कृषि विभाग द्वारा मनरेगा कनवर्जन में एक वाटर टैंक भी स्थापित किया गया है।

बागवानी और सब्जी उत्पादन:
पोल्ट्री फार्म के पास ही उन्होंने बागवानी की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं, जिसमें अनार, नींबू, तेजपत्ता, केला, कीवी आदि के पौधे लगाए गए हैं। साथ ही भिंडी, कद्दू, बीन्स आदि सब्जियां भी उगाई जा रही हैं।

समस्याएं और समाधान:
श्री मखलोगा ने बताया कि पोल्ट्री फार्मिंग में रॉ मेटिरियल की कमी और फीड की समस्या है, साथ ही बाहरी राज्यों से कॉम्पिटीशन है। यदि शुरुआती दिनों में फीड को लेकर सब्सिडी मिल जाए, तो लोकल फार्मिंग को जीवित रखा जा सकता है।

भविष्य की योजनाएं:
दिलवीर सिंह मखलोगा अपने स्वरोजगार के माध्यम से खुश हैं और भविष्य में गांव के अन्य लोगों को साथ लेकर एकीकृत खेती करने की दिशा में प्रयासरत हैं। उनका सपना है कि वह अपनी सफलता की कहानी को और लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनाएं और सामूहिक रूप से विकास की ओर कदम बढ़ाएं।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के मार्गदर्शन में दिलवीर सिंह मखलोगा की यह कहानी दिखाती है कि सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करके और मेहनत के बल पर कैसे सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी यह सफलता न केवल उनके लिए बल्कि पूरे गांव के लिए एक प्रेरणास्रोत है।


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Govind Pundir

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