ऋषिकेश परिसर में ‘प्राचीन भारतीय गणित और उसका सार्वभौमिक प्रभाव’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार
ऋषिकेश, 31 अगस्त 2024। श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर, ऋषिकेश में गणित विभागीय परिषद द्वारा “प्राचीन भारतीय गणित और उसका सार्वभौमिक प्रभाव” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन रूसा सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें गणित के प्राचीन भारतीय ज्ञान और इसकी वैश्विक प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की गई।
सेमिनार का शुभारंभ परिसर निदेशक प्रो. एम. एस. रावत, कला संकायाध्यक्ष प्रो. डी. सी. गोस्वामी, वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. कंचनलता सिन्हा, और गणित विभागाध्यक्ष प्रो. अनीता तोमर द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। गणित विभागाध्यक्ष प्रो. तोमर ने स्वागत भाषण में प्राचीन भारतीय गणित के योगदानों को रेखांकित करते हुए कहा, “भारतीय गणित की शून्य की अवधारणा और अन्य गणितीय सिद्धांतों ने न केवल भारत को, बल्कि पूरे विश्व को गणित और विज्ञान के क्षेत्र में दिशा दी है।”
सेमिनार में भारतीय गणित के महानतम योगदानों पर विचार-विमर्श किया गया, जिसमें शून्य की खोज, दशमलव प्रणाली और त्रिकोणमिति के क्षेत्र में किए गए कार्यों पर विशेष जोर दिया गया। वक्ताओं ने आधुनिक तकनीकी क्षेत्रों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स में प्राचीन गणित के अनुप्रयोगों पर भी चर्चा की।
मुख्य अतिथि, प्रो. एम. एस. रावत ने इस अवसर पर कहा, “प्राचीन भारतीय गणित हमारी सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धरोहर का अमूल्य हिस्सा है। इसका अध्ययन और संरक्षण हमारे लिए गर्व का विषय होना चाहिए, और इसे नए युग की चुनौतियों से जोड़कर आगे बढ़ाने की जरूरत है।”
विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने भी अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए इस तरह के आयोजनों को प्रोत्साहित करने की बात कही।
सेमिनार के दौरान छात्रों ने पॉवर पॉइंट प्रस्तुतियों के माध्यम से प्राचीन भारतीय गणित के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। कार्यक्रम के अंत में, गणित परिषद द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार और प्रमाण पत्र वितरित किए गए। विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को सम्मानित किया गया, जिसमें निबंध, पोस्टर, भाषण, प्रस्तुति, और क्विज़ प्रतियोगिताएँ शामिल थीं। कार्यक्रम के समापन पर, प्रो. दीपा शर्मा ने सभी उपस्थित अतिथियों और छात्रों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर प्रो एस पी सती, प्रो मनोज यादव, प्रो विद्याधर पाण्डे, प्रो संगीता मिश्रा, प्रो हेमलता मिश्रा, प्रो पूनम पाठक, प्रो कल्पना पंत, प्रो नीता जोशी, प्रो बी पी बहुगुणा, प्रो नवीन शर्मा, प्रो आशीष शर्मा, प्रो हितेंद्र सिंह, प्रो दिनेश शर्मा, डॉ विभा कुमार, डॉ सीमा बैनीवाल, डॉ श्रीकृष्ण नौटियाल, डॉ एस के कुड़ियाल, डॉ अशोक मैंदोला, डॉ हेमन्त परमार, डॉ नेहा भट्ट, संजीव सेमवाल सहित गणित विषय के छात्र छात्रा उपस्थित रहे|
यह सेमिनार प्राचीन भारतीय गणितीय विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके आधुनिक संदर्भ में महत्व को समझाने में सफल रहा। भविष्य में इस ज्ञान को और अधिक विकसित करने और नवाचार के क्षेत्र में इसका उपयोग करने का आह्वान किया गया।