संपादकीय: उत्तराखंड में यूपीएस का आलम- वादा बड़ा, अमल में बाधा

संपादकीय: उत्तराखंड में यूपीएस का आलम- वादा बड़ा, अमल में बाधा
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उत्तराखंड सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लागू कर एक स्वागतयोग्य कदम उठाया, जिसका मकसद राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत आने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना की तरह निश्चित और सुरक्षित भविष्य प्रदान करना है।

यह स्कीम, जिसमें 10 साल की सेवा पर 15,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन और 25 साल की सेवा पर मूल वेतन का 50% पेंशन जैसे आकर्षक लाभ शामिल हैं, कर्मचारियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। लेकिन इस सुनहरे वादे का असल रंग तब फीका पड़ने लगता है, जब हम इसके कार्यान्वयन की जमीनी हकीकत देखते हैं। प्रचार-प्रसार की कमी और तकनीकी खामियों ने इस स्कीम को कर्मचारियों के लिए एक पहेली बना दिया है।
HRMS पोर्टल: तकनीकी बाधा या लापरवाही?
सरकार ने यूपीएस का विकल्प चुनने के लिए कर्मचारियों को इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (IFMS) के HRMS पोर्टल पर आधार लिंक के माध्यम से ई-साइन कर आवेदन जमा करने का निर्देश दिया है। लेकिन यह पोर्टल कर्मचारियों के लिए किसी भूलभुलैया से कम नहीं।

कर्मचारियों का कहना है कि पोर्टल पर यूपीएस चुनने का कोई ऑनलाइन विकल्प उपलब्ध नहीं है, और जो लिंक दिए गए हैं, वे खुलते ही नहीं। यह तकनीकी खामी तब और गंभीर हो जाती है, जब यूपीएस या एनपीएस में से किसी एक को चुनने की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2025 तेजी से नजदीक आ रही है। सवाल यह है कि क्या यह तकनीकी लापरवाही है या सरकारी तंत्र की सुस्ती?
रिटायर्ड कर्मचारियों का हक भी अधर में:
यूपीएस का लाभ केवल मौजूदा कर्मचारियों तक सीमित नहीं है; एनपीएस के तहत रिटायर हो चुके कर्मचारियों को भी इस स्कीम का विकल्प चुनने का मौका दिया गया है। यह कदम सराहनीय है, लेकिन इसे लागू करने की प्रक्रिया उतनी ही निराशाजनक है। रिटायर्ड कर्मचारियों को न तो इस योजना की पर्याप्त जानकारी दी गई है और न ही पोर्टल पर आवेदन की सुविधा उपलब्ध है। कई रिटायर्ड कर्मचारी, जो अपने जीवन के सुनहरे वर्षों में इस स्कीम का लाभ उठाना चाहते हैं, सूचना के अभाव और तकनीकी दिक्कतों के कारण ठगा-सा महसूस कर रहे हैं।

यूपीएस के वादे: सपना या हकीकत?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम अपने आप में एक प्रगतिशील कदम है। 10 साल की सेवा पर 15,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन, जिसमें 52% महंगाई राहत (DR) शामिल है , और 25 साल की सेवा पर मूल वेतन का 50% पेंशन, कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा का भरोसा देता है। इसके अलावा, समय-समय पर मिलने वाली महंगाई राहत पेंशन को महंगाई के हिसाब से अपडेट रखती है।

दूसरी ओर, एनपीएस में निवेश शेयर बाजार, सरकारी बॉन्ड और कॉर्पोरेट डेब्ट पर निर्भर करता है, जिसमें जोखिम की आशंका बनी रहती है। यूपीएस का यह निश्चित और गारंटीड लाभ कर्मचारियों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। लेकिन जब तक इस स्कीम की जानकारी और आवेदन की प्रक्रिया कर्मचारियों तक नहीं पहुंचेगी, यह वादा केवल कागजों तक ही सीमित रहेगा।

कर्मचारियों की पुकार: सुनो और समाधान दो
कर्मचारी संगठन बार-बार मांग कर रहे हैं कि सरकार यूपीएस के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे, HRMS पोर्टल की तकनीकी खामियों को दूर करे और कर्मचारियों व रिटायर्ड कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए सूचना शिविर आयोजित करे। यह मांग न केवल जायज है, बल्कि समय की मांग भी है। सरकार को यह समझना होगा कि किसी भी योजना की सफलता उसके कार्यान्वयन की पारदर्शिता और पहुंच पर निर्भर करती है। जब कर्मचारी यह कह रहे हैं कि “हमें तो कार्यालय में भी कोई जानकारी नहीं मिल रही,” तो यह सरकारी तंत्र की नाकामी को उजागर करता है।
आगे की राह
एक कर्मचारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर गढ़ निनाद न्यूज पोर्टल को बताया कि 30 सितंबर की समय सीमा नज़दीक है इसलिए इससे पहले HRMS पोर्टल को दुरुस्त करना, कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करना और रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए विशेष व्यवस्था करना जरूरी है। सरकार को चाहिए कि वह तत्काल प्रभाव से कार्यशालाएं आयोजित करे, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से कर्मचारियों तक जानकारी पहुंचाए और तकनीकी समस्याओं का समाधान करे।


यूनिफाइड पेंशन स्कीम कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो आर्थिक सुरक्षा और सम्मानजनक रिटायरमेंट का वादा करता है। लेकिन यह अवसर तभी सार्थक होगा, जब सरकार इसे लागू करने में उतनी ही तत्परता दिखाए, जितनी इसकी घोषणा में दिखाई थी। कर्मचारियों की पुकार को अनसुना करना न केवल अन्याय होगा, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाएगा। समय है कि उत्तराखंड सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए और यूपीएस को एक सपने से हकीकत में बदले। आखिर, कर्मचारी न केवल राज्य के विकास का आधार हैं, बल्कि उनके हक का सम्मान भी सरकार की जिम्मेदारी है।


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Govind Pundir

*** संक्षिप्त परिचय / बायोडाटा *** नाम: गोविन्द सिंह पुण्डीर संपादक: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल टिहरी। उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार। पत्रकारिता अनुभव: सन 1978 से सतत सक्रिय पत्रकारिता। विशेषता: जनसमस्याओं, सामाजिक सरोकारों, संस्कृति एवं विकास संबंधी मुद्दों पर गहन लेखन और रिपोर्टिंग। योगदान: चार दशकों से अधिक समय से प्रिंट व सोशल मीडिया में निरंतर लेखन एवं संपादन वर्तमान कार्य: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से डिजिटल पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान करना।

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