टिहरी में 1000 मेगावाट क्षमता वाले भारत के पहले वेरिएबल स्पीड पंप स्टोरेज प्लांट का कार्य अंतिम चरण में

टिहरी गढ़वाल। भारत की प्रथम वैरिएबल स्पीड पम्प्ड स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) परियोजना — टिहरी 1000 मेगावाट — अब कार्य के अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस परियोजना की चार यूनिटों में से दो यूनिटें (प्रत्येक 250 मेगावाट) सफलतापूर्वक भारतीय ग्रिड से जुड़कर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू कर चुकी हैं, जबकि शेष दो यूनिटों (500 मेगावाट) का कार्य विश्व स्तरीय विशेषज्ञों की देखरेख में तेजी से चल रहा है। इन्हें भी शीघ्र ही राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ दिया जाएगा।
हरित विकास की ओर मजबूत कदम
टिहरी पीएसपी परियोजना न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह भारत को कोयले पर निर्भरता घटाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद कर रही है। परियोजना से जुड़े व्यापक निर्माण कार्यों ने क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
स्थानीय स्तर पर नई आर्थिक ऊर्जा परियोजना से स्थानीय व्यवसाईयों और उद्योगों को भी नया संबल मिला है। निर्माण सामग्री, परिवहन, आवास, खानपान और अन्य सेवाओं की बढ़ी मांग ने परियोजना क्षेत्र के आसपास एक सशक्त आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है। इसे क्षेत्रीय विकास का एक आदर्श मॉडल माना जा रहा है।
ऊर्जा सुरक्षा में नए युग की शुरुआत
भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में टिहरी पीएसपी एक ‘वाटर बैटरी’ की भूमिका निभाएगी, जो ऊर्जा भंडारण एवं ग्रिड स्थिरता दोनों को मजबूत करेगी। पम्प्ड स्टोरेज पावर प्लांट क्लोज्ड लूप प्रणाली पर काम करते हैं, जिसमें पानी की खपत नहीं होती, बल्कि ऊपरी एवं निचले जलाशयों के बीच पुनर्चक्रण किया जाता है।
इस परियोजना के पूर्ण संचालन से उत्तरी भारत की विद्युत उत्पादन क्षमता में 1000 मेगावाट (लगभग 2442 मिलियन यूनिट वार्षिक) की वृद्धि होगी। इसके साथ ही ग्रिड स्थिरता, विद्युत सुरक्षा और विश्वसनीयता के नए मानक स्थापित होंगे।



