आपदा के दौर में देश-विदेश से पहाड़ लौटे युवाओं के लिए बेहतर अवसर
डॉ० राजीव राणा, अर्थ-शास्त्र विशेषज्ञ
प्रसिद्ध गीतकार ब्रायन एडम्स के अनुसार “कठिनाइयाँ बेहतर चीजों के अवसर हैं; वे बड़े अनुभव के लिए कदम बढ़ा रहे हैं …. जब एक दरवाजा बंद होता है, तो दूसरा हमेशा खुलता है; एक प्राकृतिक नियम के रूप में, इसे संतुलित करना है।”, यह कथन आज कॅरोना वायरस COVID-19 संक्रमण के दौरान देश एवं विदेश से वापस आये पहाड़ों के युवाओं के लिए भी सीख लेने वाली है। आज जब पूरा विश्व एक बहुत बड़ी महामारी से झुलस रहा है तथा कॅरोना वायरस संक्रमण सभी देशो में तेजी से फैल रहा है। वैशिवक मंदी एवं विश्व के अधिकांश देशो में कोरोना के संक्रमण के रोकथाम करने के लिए लॉकडाउन होने से अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी काफी धीमी हो गई है। जिसका व्यापक असर वैशिवक एवं प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रहा है।
भारत में भी 21 दिनों तक लॉकडाउन किया गया है, यह इंडियन मेडिकल कॉउन्सिल रिसर्च ICMR द्वारा दिया गया सुझाव है जिसमे एक मैथमैटिकल मॉडल द्वारा बताया गया है की सोशल डिस्टन्सिंग को अपना कर हम इस कोरोना संक्रमण को 65 से 70 प्रतिशत तक काम कर सकते है। यही कोरोना को हारने का एक मात्र तरीका है, हलाकि इसका व्यापक असर आने वाले दिनों में भारतीय अर्थ जगत में पड़ेगा, परन्तु इस समय अर्थ जगत से जायद लोगो की जान बचाना मानवता के हित में होगा। लॉकडाउन होने से निःसंदेह निःसंदे ही बेरोज़गारी तो बढ़ेगी ही साथ ही साथ रोज़गार सर्जन में कमी आएगी जो की स्वाभाविक भी है। चूकि वस्तुओं की मांग में भरी कमी होगी एवं लॉकडाउन से उत्पादन एवं इसकी मांग भी गिरेगी, इसका परिणाम यह भी होगा की कई छोटे रोज़गार में लगे लोगो को परेशानी हो सकती है। हालाँकि सरकार द्वारा इस मंदी से निकलने हेतु हर संभव मदद की जा रही है एवं जल्द ही सरकार मंदी से निपटने हेतु कुछ बड़े फैसले लेगी जो की उद्योग जगत को काफी बड़ी राहत देने वाली होगी।
इसी महामारी के दौरान उत्तराखंड के हजारों युवा देश एवं विदेश से वापस लौट रहे है, यह लोग पहाड़ों की विषम परिस्थितियों से लड़कर रोज़गार के लिए देश के अन्य राज्यों एवं विदेशों में गए, इनमें से कई लोगो ने तो गांव लगभग छोड़ दिए थे परन्तु इस महामारी ने इन्हे शायद एक सुनहरा अवसर दिया ताकि ये अपने राज्य के विकास में अहम भागीदारी निभा सके। आज पहाड़ के युवा देश एवं विदेशों में होटल, टूरिज़्म, योगा, नेचुरलपैथी, इंजीनियरिंग, शिक्षक एवं अन्य कई क्षेत्रों में योगदान दे रहे है, यह युवा कई प्रकार के अनुभव एवं कौशल को अपने अंदर में समाये हुए है तथा विदेशों में कार्य कर वहाँ की आधुनिक शैली एवं विशिष्टता से भी पारंगत है, जो की आज किसी विशेष कौशल से काम नहीं है।
यही विशिष्टता एवं आधुनिक कार्य शैली अपनाकर आज देश विदेश में सेवा दे रहे लोग न केवल अपने लिए पहाड़ो में स्वरोजगार उत्पन कर सकते है बल्कि अन्य कई स्थानीय लोगो को रोज़गार उपलब्ध करा सकते है, इससे एक तो स्थानीय पलायन रुकेगा तथा दूसरा पहाड़ों के लोगो को रोज़गार के लिए गांवो से दूर नहीं जाना पड़ेगा एवं गांवो छोड़ रहे लोगो के लिए यह प्रेरणा बन, साथ ही साथ पहाड़ों में विभिन्न क्षेत्रों में जैसे डेरी, कृषि, कृषि से सम्बंदित लघु एवं कुटीर उद्योग तथा अन्य रोज़गार सर्जन करने में महत्पूर्ण योगदान देंगे अंतः इसका सीधा सम्बंद अन्य सेवाओं जैसे स्वास्थ, शिक्षा एवं सर्विस सेक्टर से जुड़ी सेवावाओ की मांग के विस्तार से होगा एवं पहाड़ भी संपूर्ण विकास की और अग्रसर हो सकेंगे। ऐसे अनेक क्षेत्र है जहाँ यह युवा अपनी अहम भदीगदरी निभा सकते है : जैसे कृषि से जुड़े हुए व्यवसाय, विशेष तौर पैर क्षेत्रीय एवं पहाड़ी उत्पाद, झंगोरा, मण्डोवा से जुड़े फ़ूड प्रोसेसिंग वस्तुओ का उत्पादन किया जा सकता है: उदाहरण के तौर पर झंगोरे एवं मण्डोवे के अड़सेह, बिस्कुट, ख़ीर आदि बहुत लोकप्रिय है एवं इसकी बाजार में अच्छी खासी मांग भी है। फ़ूड मैनेजमेंट से जुड़े लोग विभिन प्रकार के पहाड़ी उत्पाद से अनेक प्रकार की नए भोजन पदार्थ में इनोवेशन कर सकते है। डेरी से जुड़े छोटे व्यवसाय तो काफी लोकप्रिय है तथा ये एक कड़ी के रूप में अन्य व्यवसायों से भी जुड़े है जो एक वस्तु की मांग के साथ अन्य वस्तुओ की मांग में भी वृद्वि करती है। खाली पड़े खेतो का उपयोग चकबंदी के माध्यम से पहाड़ी उत्पाद की खेती जिसमे प्रमुख है: झंगोरा, मण्डोवा, राजमा, आलू, सेब, गहथ, तोर, सब्जिया आदि।
औषधि एवं सुगंदीद पेड़ो की खेती जैसे आज तोरीघास, बनपनासा, अलसी, गरिला, कफलिया, लगभग ऐसे सेकड़ो औषधिो की खेती लोकप्रिय हो सकती है जैसे आज एलोवेरा की खेती काफी लोकप्रिय है तथा लीसा, कंडाली घास के आज बहुत सरे उत्पाद बन रहे है जो की एक बेहतर विकल्प है, एवं फूलो की खेती बारह माह का व्यवसाय है। कुछ क्षेत्रों में राज्य सरकार सब्सिडी भी उपलब्ध कराती है उदाहरण के लिए सोलर पावर एवं अन्य व्यवसाय जैसे मुर्गी पालन एवं पोल्ट्री तथा मशरूम की खेती से जुड़े लगु उद्योगो में।
पर्यटन से जोड़े युवा आज राज्य सरकार की होम स्टे पॉलिसी का फायदा ले सकते है एवं अपने घर बैठे रोज़गार प्राप्त कर सकते है। राज्य सरकार सभी ट्रूरिस्ट डेस्टिनेशन को डेवेलोप कर रही है जिससे यहां के स्थानीय लोगो को रोज़गार मिल सके। यह सभी छोटे उद्योग, स्थानीय रोज़गार के लिए मील का पथर साबित हो सकते है। राज्य सरकार को भी चाइये की पहाड़ों में ज्यादा से ज्यादा सर्विस सेक्टर से जुड़े उद्योगों को विकसित करे, तथा घोस्ट विलेज में छोटे निगमों या सरकारी कार्यालय स्थापित करे जिससे वहाँ के गांव में लोगो का आवागमन हो तथा गांव में लोग रहने के लिए प्रेरित हो सके।