डोबरा चांठी पुल -एक
किशोर उपाध्याय: श्रेय लेने से परहेज
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद न्यूज़* 27 सितम्बर 2020
नई टिहरी।
लगभग डेढ़ दशक में डोबरा चांठी पुल बनकर तैयार हो गया है। इसकी सुरक्षा पहलुओं की जांच चल रही है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसका लोकार्पण कुछ दिन टल गया है दशहरा, दिवाली या राज्य स्थापना दिवस के आसपास पुल का लोकार्पण तय है। प्रतापनगर जिसको कभी टिहरी बांध के कारण उत्तराखंड का काला पानी कहा जाता था के लोगों के लिए तो यह वरदान है ही, झील के ऊपर यह पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण होगा। फुल के आरपार दो नए बाजार गुलजार होंगे।
उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को पुल के उद्घाटन में देरी खल रही है। उनको दुख इस बात का है कि वर्तमान में पुल बनाने का श्रेय लेने की होड़ लगी है। वाकई गलत बात है। अब किशोर जी की बात पर ही गौर करें। उन्होंने हकीकत बताई कि उन्होंने और उनके साथियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बांध प्रभावित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की व्यवस्था करने के आदेश सरकार को दिए थे। इसके बाद डोबरा-चांन्ठी , घोंटी, चिन्यालीसौड पुल, मदन नेगी और स्यान्सू -भल्डियाना रोपवे के लिए टीएचड़ीसी ने धनराशि दी।
किशोर जी अपने याचिका वाले साथियों के नाम भी बता देते तो धन्यभागी जनता इनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करती। परंतु किशोर जी इतनी छोटी राजनीति नहीं करते। भला वे स्वयं श्रेय लेने की होड़ में शामिल हैं क्या?
उत्तरांचल की अंतरिम सरकार में सिंचाई और ऊर्जा मंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने टिहरी बांध निर्माण, विस्थापितों के पुनर्वास, प्रभावित क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का ढांचा खड़ा करने के लिए अपनी अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था । बांध प्रभावित क्षेत्रों के लिए 166 करोड़ रुपए का पैकेज, व्यापारियों एवं वकीलों को 14 करोड़ रुपये प्रतिपूर्ति, प्रताप नगर क्षेत्र में डिग्री कॉलेज सहित कई काम समिति की देन हैं। तिवारी सरकार में सिंचाई मंत्री शूरवीर सिंह सजवान एवं किशोर जी की लड़ाई में यह समिति ही भंग हो गई । इतने के बावजूद किशोर जी ने श्रेय नहीं लिया। वाह क्या बात है।