बुधू लौटा: किले फतेह
 
						गढ़ निनाद न्यूज़* 30 अक्टूबर 2020
नई टिहरी। उत्तराखंड क्रांति दल की रुद्रप्रयाग घोषणा- 2022 विधानसभा चुनाव का किला फतेह करना है । जनता किला फतेह के लिए यूकेडी की तरफ देख रही है टकटकी लगाए। बेचारी जनता के पास कोई काम नहीं है। यूकेडी का किला हवाई है तो क्या हुआ? आप से तो पुराना है ही।
उत्तराखंड आंदोलन यूकेडी ने शुरू किया, मंजिल तक पहुंचाने में केंद्रीय भूमिका निभाई। राज्य बना। सरकारें भाजपा, कांग्रेस की बनी। जिन्होंने अराजकता फैला कर आंदोलन भटकाया उनको लाल बत्तियां मिली। आंदोलनकारी होने के सरकारी प्रमाण पत्र भी कांग्रेस, भाजपा वालों को मिले। यूकेडी वाले मुंह ताकते रह गए,आंदोलन के लिए नौकरियां दांव पर लगाने वाले शिक्षकों, कर्मचारियों की तरह।
होना भी यही था। लाल बत्तियां हो या पेंशन बांटने वाले तो वही हैं जो तब लाठियां चलवाते, चलाते थे।
रुद्रप्रयाग से बुधू सीधे अस्थाई कम परमानेंट राजधानी देहरादून टपका। यहां कांग्रेस तुरंत भाजपा का किला ढहा कर अपना किला फतह करने में जुटी थी। पूरा जोर लगा रही थी। वे सभी जो एक दूसरे की टांग खिंचाई में लगे रहते हैं। एकजुट होकर जोर लगाओ आईसा- 1994 में बुराड़ी दिल्ली में लगाया जैसा।
टेंम पाकर बुधू निवाल गांव वालों की तीन भैंसे खोजने जा रहा है। छ्वीं न लगा इनि तुम पटवारी जी न कन क्या? कख रैगि नीति कख मान्णा एक पटवारी ने कहां-कहां तो जान्णा।
लगे रहो किले फतेह बहादुरों।
बुधू भी लगा है।
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