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वन क़ानून स्थानीय समुदायों के पुश्तैनी हक़-हकूक़ों और अधिकारों पर कुल्हाड़ी चलाने का काम कर रहे हैं- किशोर

वन क़ानून स्थानीय समुदायों के पुश्तैनी हक़-हकूक़ों और अधिकारों पर कुल्हाड़ी चलाने का काम कर रहे हैं- किशोर
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गढ़ निनाद समाचार* 11 नवम्बर 2020

देहरादून। पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष व वनाधिकार कांग्रेस के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने प्रेस वार्ता में कहा कि अब तक वन, पर्यावरण, पारस्थिति, जल, वन्य प्राणियों आदि के बारे में बनाये गये क़ानूनों आदि में सबसे बड़ी कमी है क़ि ये क़ानून स्थानीय समुदायों के पुश्तैनी हक़-हकूक़ों और अधिकारों पर कुल्हाड़ी चलाने का काम करते हैं। एक अच्छी भावना से बने क़ानूनों से स्थानीय समुदायों का शोषण किया जा रहा है।

अतः इन क़ानूनों की समीक्षा आज समय की आवश्यकता है और इन क़ानूनों को संशोधित कर स्थानीय अरण्यजनों (Forest Dwellers) के पुश्तैनी हक़-हकूक़ों व वनाधिकारों की रक्षा का समावेश किया जाना चाहिये, उनके छीने गए हक़-हकूक़ों की क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिये।

उपाध्याय ने उदाहरण देते हुये कहा कि जलावन की लकड़ी के क्षतिपूर्ति के रूप में प्रति परिवार को प्रतिमाह एक गैस सिलेंडर, बिजली व पानी निशुल्क, उत्तराखंडियों को केंद्र सरकार की सेवा में आरक्षण, एक यूनिट घर बनाने के लिये लकड़ी-पत्थर के स्थान पर ईंट, सरिया, बजरी व सीमेंट निशुल्क, जड़ी-बूटियों पर स्थानीय समुदायों को दोहन का अधिकार, परिवार के एक सदस्य को नौकरी, जंगली जानवरों द्वारा जनहानि पर 25 लाख रू मुआवजा व एक आश्रित को नौकरी, फसलों की हानि पर उचित मुआवजा आदि दिया जाय।

उपाध्याय ने कहा कि वनाधिकार आन्दोलन के COVID-19 के इस संकटक़ालीन समय के इस चरण के गढ़वाल दौरे में उन्होंने पाया कि सरकार की उदासीनता ने राज्य की निवासियों की मुश्किलों को बेतहाशा बढ़ा दिया है।सरकारी व बैंक़ों के क़र्ज़ों की उगाही में क़र्ज़दारों को प्रताड़ित किया जा रहा है, गिरफ़्तारी की डर से लोग अपने घरों से भागे हुये हैं, अत: सरकार तुरन्त उगाही रोके।

उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड प्राण वायु सुरक्षा, जल व अन्न सुरक्षा व देश की सीमा को भी सुरक्षित कर रहा है और वहाँ के निवासियों की आज जो दुर्दशा हो रही है, अब क़ाबिले- बर्दाश्त नहीं है।

कहा कि चिपको आंदोलन की जन्मदात्री धरती आज स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रही है। बेरोज़गारी ने राज्य की कमर तोड़ दी है।युवा पीढ़ी गम्भीर अवसाद की चपेट में आ गयी है ।

आज यहाँ के निवासियों के वनाधिकार व पुश्तैनी हक़-हकूक़ बहाल होने चाहिये, तभी प्रदेश देश सुरक्षित रह सकता है।

उपाध्याय ने कहा कि भविष्य में आंदोलन की रूप रेखा जल्दी ही घोषित की जायेगी। वार्ता में सर्व श्री यस.सी.सचान, बच्चीराम कंस्वाल, राजेन्द्र सिंह भंडारी, अंशुल श्रीकुंज, इब्राहिम आदि उपस्थित थे।


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Govind Pundir

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