पँवाली रोप वे: संभावनाओं का द्वार
गढ़ निनाद समाचार* 4 दिसम्बर 2020
नई टिहरी (विक्रम बिष्ट)
टिहरी के विधायक डॉ. धन सिंह नेगी के अनुसार पँवाली रोप वे बनने के बाद वहां से अप्रैल- सितंबर तक नई टिहरी को रोजाना 5000 लीटर दूध उपलब्ध होगा। यह भी कि आगामी मार्च तक रोपवे बनकर तैयार हो जाएगा।
दुग्ध संघ के अध्यक्ष जगदंबा प्रसाद बेलवाल के अनुसार 2016-17 तक संघ पर 4 करोड़ 88 लाख की देनदारी थी। इनमें महिलाओं की बड़ी भागीदारी वाली 6 दर्जन से अधिक समितियों का बकाया भी शामिल है। घाटे की एक बड़ी वजह वह फिजूलखर्ची बताते हैं। अध्यक्ष बेलवाल के शब्दों में तीन करोड़ का नया पैकेज हिमालयन टास्क है।
बहरहाल, दूध गंगा के साथ पंवाली की आकाश छूती महत्वाकांक्षा पर थोड़ा चर्चा करते हैं। भिलंगना क्षेत्र में खतलिंग ग्लेशियर, पर्वत शिखरों पर सहस्त्र ताल, मसूर ताल पंवाली, माटया, क्यारकी सहित दर्जनों मन भावन बुग्याल समृद्ध जंगल, भिलंगना बाल गंगा की दर्जनों सदानीरा धाराएं, उपजाऊ घाटियां, पनबिजली उत्पादन की चमकीली संभावनाएं हैं। आजादी के बाद से ही जातिवादी-सामंतवादी राजनीति के बोझ तले दबा रहा भिलंगना इन कुदरती संभावनाओं का वांछित लाभ नहीं उठा पाया।
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उधर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिष्य मीराबेन भिलंगना पहुंची तो यह उत्तर प्रदेश में उत्तराखंड का पहला विकासखंड बना। बापू की ग्राम स्वराज की अवधारणा को जमीन पर साकार करने की प्रेरणा पहाड़ी गांधी इंद्रमणि बडोनी को मीराबेन से ही मिली थी।
इंद्रमणि बडोनी मूलतः पड़ोसी विकासखंड जखोली के निवासी थे। अब उनका गांव अखोड़ी भिलंगना विकासखंड में शामिल है। उनका विधानसभा क्षेत्र देवप्रयाग था। अब घनसाली है जो टिहरी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था। खतलिंग,पँवाली को स्थानीय लोगों और भूगोल की किताबों से बाहर निकालकर पर्यटन के मानचित्र पर दर्ज करवाने का श्रेय पड़ोसी जखोली के पूर्व ब्लाक प्रमुख और देवप्रयाग के पूर्व विधायक इंद्रमणि बडोनी को ही जाता है।
घुतू से खतलिंग यात्रा शुरू होती थी, उनके द्वारा स्थापित स्कूल से। विकास की उस महायात्रा की भूण हत्या भी उसी प्रांगण में टिहरी भिलंगना की निजी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने की है। ठीक उसी तरह जैसे 2002-2007 के बीच टिहरी बांध प्रभावितों विस्थापितों के सपनों की। उम्मीद है कि भाजपा उस प्रवृत्ति से दूर रहेगी।