हरिद्वार जिले में वनाधिकार आंदोलन के विधानसभा वार संयोजकों की घोषणा
हरिद्वार। वनाधिकार आंदोलन के प्रणेता और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने जनपद हरिद्वार में वनाधिकार आन्दोलन के विधानसभा वार संयोजकों की नियुक्ति कर दी है।
उन्होंने बताया कि श्री नितिन कौशिक को भेल-रानीपुर, श्री धर्मराज चौहान को लकसर,श्री चौधरी पद्मसिंह गुजर को खानपुर, श्री रवीन्द्र कुमार को मंगलौर, श्री नरेश कुमार को हरिद्वार ग्रामीण, श्री हुकुम सिंह सैनी को भगवानपुर का संयोजक नियुक्त किया गया है।
उपाध्याय ने कहा कि हरिद्वार के वनाधिकार आन्दोलन के साथियों से विचार-विमर्श के उपरान्त ये नियुक्तियां की गई हैं। कहा कि धीरे-धीरे सभी राजनीतिक दल वनाधिकार आंदोलन के एजेंडे की ओर आ रहे हैं।अभी तक जल, जंगल और जमीन की बात होती थी। पहली बार “जन” की बात हो रही है।
अभी वन मंत्री ने भी सकल पर्यावरण उत्पाद की बात की है, जिसके लिये वनाधिकार आंदोलन पिछले 4 वर्षों से आंदोलनरत है और उत्तराखंडियों को वनों पर उनके पुश्तैनी हक-हकूक़ों व अधिकारों को लेने की लड़ाई लड़ रहा है, उनकी क्षतिपूर्ति देने के लिये आन्दोलनरत है।
वनाधिकार आंदोलन की मांग है कि क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य के निवासियों को बिजली, पानी व रसोई गैस निशुल्क दी जाय। परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार पक्की सरकारी नौकरी दी जाए।केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण दिया जाय, जंगली जानवरों से जनहानि पर 25 लाख ₹ मुआवजा और प्रभावित परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी दी जाए। जड़ी-बूटियों के दोहन पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो तथा जल सम्पदा व नदियों पर लोकाधिकार हो।
उपाध्याय ने कहा कि राज्य का लगभग 72% भू-भाग वनों के लिये समर्पित कर दिया गया है, लेकिन स्थानीय समुदायों को उसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है, अपितु उन्हें प्रताड़ना मिलती है।
उपाध्याय ने कहा कि यह बिलकुल सही और उपयुक्त समय है जब वन तथा वन्य पशु से सम्बन्धित क़ानूनों की समीक्षा ज़रूरी हो गयी है, ये नियम-कानून स्थानीय समुदायों पर कुठाराघात करते हैं।
उपाध्याय ने आशा व्यक्त की कि सभी नवनियुक्त साथी आन्दोलन की भावना की रक्षा करेंगे।