Ad Image

नई टिहरी: गुफा में पुनर्वास!

नई टिहरी: गुफा में पुनर्वास!
Please click to share News

विक्रम बिष्ट

नई टिहरी। हमने तो मुआवजा दे दिया है। लोग गुफा में जा कर रहें! बिल्कुल यही जवाब था टीएचडीसी के उस मैनेजर का। जो महाप्रबंधक बनने से पहले पुनर्वास और पर्यावरण का प्रभार भी देखता था। सामने बैठे थे जिले की राजनीति के शीर्ष नेता खामोश।

एमपीएस त्यागी नाम था। विस्थापित गुफा में रहें! पुनर्वास और पर्यावरण जैसे अति संवेदनशील मामले में यह समझ। यह नीति निर्माताओं की नीयत का नमूना था या टिहरी के लोगों की नियति। बड़े लोगों की बड़ी बात। पर किसी के दिल को लगी। हूक..सी उठी। देखते हैं गुफावास किसको होता है।

डॉक्टर वेणुगोपालचारी ऊर्जा मंत्री थे, आंध्र प्रदेश के तेलगू देशम कोटे से। कल्पनाथ राय के ठीक विपरीत। टिहरी विस्थापितों के प्रति सहानुभूति और सम्मान के भाव रखते थे। 7 रेसकोर्स रोड़ प्रधानमंत्री आवास पर एचडी देवगौड़ा रहते थे। नरसिंह राव टाइम जैसी अपमानजनक सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। सो बतौर प्रतिनिधि मंडल सदस्य मिलने में हिचक भी नहीं।

पुनर्वास के बाबत बातचीत, ज्ञापन के बाद वहीं हाथ से लिखी चिट्ठी प्रधानमंत्री के हाथ में पकड़ा दी गई। उन्होंने सिर हिलाते हुए ऊर्जा मंत्री को पकड़ा दी। चिठ्ठी में टिहरी बांध परियोजना 

महाप्रबंधक के पद पर किसी सुयोग्य संवेदनशील व्यक्ति को लाने की मांग थी। चंद समय बाद कारपोरेशन मुख्यालय से कंफर्म हो गया कि ऊपर से फोन आया है कि त्याग दो।

लेकिन शाम होते-होते भैंस पानी में चली गई। पता चला कि टिहरी के शीर्ष नेता तिवारी कांग्रेस के अध्यक्ष नारायण दत्त तिवारी जी के साथ टिहरी के मुद्दे पर पीएम से मिलआए हैं। साथ में वह नेता या ठेकेदार अथवा दोनों, किंतु त्यागफल से उपकृत भी था। जिसने दिल्ली बॉर्डर से लेकर दिल्ली तक शाइनिंग टीएचडीसी के बड़े-बड़े द्वार लगाए थे। 

मजेदार बात यह कि उस महान शिष्टमंडल के एक सदस्य महोदय शाम को उपदेश दे रहे थे कि आप लोगों ने बहुत अच्छा किया इसे कहते हैं अटैक फ्रॉम एवरी कॉर्नर । रही सही भी जाती रही।

लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। कुछ समय बाद सीबीआई वाले पिंजरा लेकर टिहरी पहुंच गए। बड़े बेआबरू होकर… निकले। खूब निकले..। आगे भी निकले।  जारी…


Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories