टिहरी बांध क्षेत्र का करोड़ी पर्यटक मास्टर प्लान
विक्रम बिष्ट
नई टिहरी। 14 सितंबर 2004 को उत्तरांचल के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में टिहरी बांध क्षेत्र के पर्यटन विकास के मास्टर प्लान के संदर्भ में एक बैठक हुई थी। इसमें जुरोंग (Jurong) कंसल्टेंट्स द्वारा पर तैयार मास्टर प्लान की प्रस्तुति पर व्यापक विचार विमर्श किया गया था।
हमारे जनप्रतिनिधि दूरगामी महत्व की योजनाओं के प्रति कितने सजग संवेदनशील रहे हैं, बैठक में उनकी उपस्थिति से पता चल जाता है। जनपद के 6 में से मात्र 2 विधायक फूल सिंह बिष्ट प्रताप नगर और कौंलदास धनोल्टी उपस्थित थे। सांसद प्रतिनिधि के रूप में टिहरी नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह पंवार और नरेंद्र नगर के विधायक सुबोध उनियाल के प्रतिनिधि रोशन लाल सेमवाल ने हिस्सेदारी की थी। दाता का क्या जाता? सांसद विधायक दाता ही तो हैं।
जिला पंचायत एवं टिहरी, चंबा, नरेंद्रनगर और मुनी की रेती नगर निकायों के अध्यक्षों ने अपने अपने सुझाव दिए थे। इनके अलावा प्रताप नगर के पूर्व ब्लाक प्रमुख विक्रम सिंह नेगी ने भी अपने-अपने सुझाव दिए। जाहिर है ये जनप्रतिनिधि सिर्फ सुझाव ही दे सकते हैं। शासन की ओर से लगभग दो दर्जन वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया था। बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने जो सुझाव दिए उन पर अमल करने की कोशिशें सही समय पर उचित तरीकों से शुरू की गई होती तो आज नजारा कुछ और व्यापक संभावनाओं भरा होता।
बैठक की चर्चाओं का निष्कर्ष संक्षेप में इन शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है- उपलब्ध संसाधनों का चिन्हीकरण, उनका सुविचारित विकास एवं संबर्धन, प्रशिक्षण और स्थानीय भागीदारी। कंसल्टेंट्स एजेंसी को पुनर्वास निदेशालय, भागीरथी नदी घाटी विकास प्राधिकरण एवं टीएचडीसी के साथ समन्वय बनाकर महायोजना पुनः विचार विमर्श करने के लिए भी कहा गया था।
शासन का खास निर्देश यह भी था कि सन 2011 में सम्भावित एक करोड़ पर्यटकों के लिए सुव्यवस्था पर विचार किया जाए। अंत में बैठक सधन्यवाद समाप्त हुई।
उत्तरांचल शासन की पर्यटन स्वप्न छलांग जुरोंग से ऊंची थी। जुरोंग कंसल्टेंट्स ने तो 2022 में भी कुल एक करोड़ तीन लाख 6 हजार पर्यटकों के बांध क्षेत्र में आने की भविष्यवाणी की थी । इनमें चारधाम यात्री शामिल नहीं है जो कुछ देर झील किनारे रुक जाते हैं।
अब नई टिहरी मास्टर प्लान 1985- 2005 एवं जुरोंग -पर्यटन कंगारू प्लान को जोड़कर देखें तो हम स्विट्जरलैंड न सही ऑस्ट्रेलिया के करीब पहुंच गए होते। ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप भूगोल में है, इसका सामाजिक राजनीतिक इतिहास पढ़ें तो शायद समझ में आ जाए कि बड़े सपने कैसे साकार किए जा सकते हैं। लेकिन आज के आस्ट्रेलिया का सामाजिक, राजनीतिक इतिहास खोजना और उसमें सपने-संभावनाएं तलाशना भी तो श्रम एवं बुद्धि साधना है! नौटंकियों से सिर्फ मन बहलाया भरमाया जा सकता है। जारी..