विधानसभा चुनाव 2022: उत्तराखंड का भविष्य और उक्रांद का अस्तित्व
विक्रम बिष्ट:
2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में सरकार चाहे जिस दल की बने, पूर्ण बहुमत अथवा गठबंधन की सदन का नजारा 2017 से भिन्न होगा यह लगभग तय है। हां यह भी सत्ता के चाल चलन में कोई बदलाव आने वाला नहीं है।
एक बड़ा सवाल यह है कि उत्तराखंड क्रांति दल के लिए विधानसभा का दरवाजा खुलेगा या नहीं? इस सवाल से उक्रांद के अस्तित्व के साथ उत्तराखंड के भविष्य सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न भी जुड़े हैं। उत्तराखंड राज्य निर्माण के संघर्ष को समर्पित उक्रांद की सबसे पुरानी पीढ़ी के नेताओं के लिए यह आखिरी चुनाव है। नई पीढ़ी के लिए अग्निपरीक्षा।
नई पीढ़ी के काफी सारे युवाओं का सक्रिय रुझान इस बार उक्रांद की तरफ बढ़ा है। खास तौर पर सोशल मीडिया पर उसकी सक्रियता कुछ आशाएं जगाती हैं। यह सक्रियता 1980 के लिए अपना भविष्य दांव पर लगाने का गजब का जज्बा था।
उक्रांद की मौजूदा दशा के लिए आम जनता को दोष देना उचित नहीं है। कांग्रेस और भाजपा भला उक्रांद को थाली में सत्ता परोस कर क्यों दें। चंद बड़े नेताओं के अहम के निरर्थक टकराव से यह स्थिति बनी है। समाज का अवसरवादी चालाक वर्ग सिर्फ मौके का फायदा उठाना जानता है। जाहिर है यह सत्ता की पत्तल चाटता है।
2027 का आम चुनाव नए परिसीमन के आधार पर होना है। तब सत्ता का संतुलन पहाड़ के खिलाफ चला जाएगा। सरकार की प्राथमिकताएं बड़े पैमाने पर बदल जाएगी। हाल के दिनों में युवाओं में मूल निवास, भू कानून और स्थाई राजधानी जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ी है। यह उक्रांद के मुद्दे हैं। बीते तीन-चार साल में उक्रांद ने इस अभियान को बढ़ाया होता तो संभवत इस बार दहाई के आंकड़े तक पहुंच जाता।