देवी भागवत कथा से पितरों को भी मिलती है मुक्ति
खुड्डा अलीशेर में चल रही देवी भागवत कथा के छठवें दिन भगवान नृसिंह देव के अनन्य उपासक नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि देवी भागवत की कथा सुनने से मानव खुद तो जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होगा। साथ ही उनके पितर भी मुक्त होते हैं। काशी में मरने से मुक्ति मिलती है, देवी भागवत की कथा सुनने से पितरों को भी मुक्ति मिल जाती है. उन्होंने कहा कि महाभारत में वर्णन आता है कि जब गांधारी अपने पुत्रों व पितरों से देखने की इच्छा जाहिर की तो महर्षि वेदव्यास ने उनको आदिशक्ति की आराधना करने को कहा और देवी भागवत की कथा सुनाई। महर्षि वेदव्यास की कथा के दौरान सरस्वती नदी से गांधारी के 100 पुत्र प्रकट हुए और फिर उनको मुक्ति मिली। उसी तरह राजा परीक्षित की जब सांप काटने से मृत्यु हुई तो उनके पुत्र जन्मेजय ने देवी भागवत की कथा सुनी तो राजा परीक्षित को मुक्ति मिली। संत रसिक ने कहा कि आज हम गर्भ में कन्याओं का वध करके बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं। वह साक्षात देवी के स्वरूप में सृष्टि की रचना हैं इनको मारना महापाप है। कथा के अंत में आरती कर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया।