भागवत गीता के उपदेशों में छिपा है सफल जीवन का सार – लाइफ कोच डॉ एमपी सिंह
फरीदाबाद दिसम्बर। अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने गीता महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आमजन को जागरूक करने के लिए यह सरकार का बहुत अच्छा प्रयास है लेकिन इसे महोत्सव ही नहीं बल्कि गीता में वर्णित आत्म ज्ञान के सार तत्व को आत्मसात करें ऐसा करने से सभी का कल्याण हो सकता है।
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि सर्वप्रथम व्यक्ति को स्वयं का आकलन करना चाहिए क्योंकि जितना व्यक्ति अपने बारे में जानता हैं उतना अन्य कोई व्यक्ति उसके बारे में नहीं जानता है इसलिए अच्छे बुरे और सही गलत की पहचान करके सही रास्ते को चुने।
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि ज्ञान किसी दुकान पर नहीं बिकता है और ज्ञान की कोई कीमत नहीं होती है ज्ञान में इतनी ताकत होती है कि वह किसी को भी बदल सकता है इसलिए हर किसी इंसान को ज्ञानी व्यक्ति की कद्र करनी चाहिए और ज्ञान प्राप्त करके अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए।
डॉ एमपी सिंह का कहना है की अंधेरे में स्पष्ट दिखाई ना देने की वजह से डर लगता है और भूत भी दिखाई पडने लगते हैं अंधेरे में कई बार घबराहट और बेचैनी भी बढ़ जाती है अंधकार युक्त रास्ते में चलने पर गड्ढे ना दिखाई देने की वजह से दुर्घटनाएं हो जाती हैं और जन धन की हानि हो जाती है लेकिन प्रकाश में चलने पर ऐसा नहीं होता है इसीलिए अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर प्रकाश में बदलना चाहिए और यह ज्ञान से ही संभव है।
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि यदि सही समय पर सही व्यक्ति के द्वारा सही कार्य को किया जाए तो वह इतिहास के पन्नों में अमर हो जाता है इसलिए बुद्धि और विवेक से काम लेना चाहिए तथा सोच समझकर सही दिशा में कार्य करना चाहिए और शिष्टाचार को कभी नहीं खोना चाहिए तथा व्यवहार कुशल हमेशा बने रहना चाहिए।
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जब कोई व्यक्ति क्रोध करता है तब वह किसी ना किसी को अवश्य नुकसान पहुंचाता है क्रोध में अक्सर जनधन की हानि होती है इसलिए क्रोध नहीं करना चाहिए अहंकारी व्यक्ति भी समाज के लोगों को परेशान करता ही रहता है जिसके दुष्परिणाम चारों तरफ देखने को मिलते हैं इसलिए अहम और बहन मैं नहीं जीना चाहिए।
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जो व्यक्ति जैसा सोचता है वैसा ही वह बन जाता है इसलिए हमेशा अच्छा सोचो किसी का बुरा मत करो बुराइयों पर नियंत्रण करो सभी का यथा योग्य सम्मान करो क्योंकि जो जैसा करता है वैसा ही उसको फल मिलता है जमीन में जो आप वीजते हो वहीं आप काटते हो इसलिए सभी के साथ अच्छा कर्म करो मीठा बोलो जिस का भला कर सकते हो कर दो।
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आलस्य और अवसाद को त्याग कर सम्मानित जिंदगी को जिया जा सकता है और यह सदविचार और सदकर्मों से ही संभव है अपने प्रति ईमानदार बनो और अपने कार्य को हमेशा ईमानदारी से करो समर्पण भाव के साथ करो कार्य में पारदर्शिता लेकर आओ असभ्यता और अश्लीलता को मत अपनाओ आपका जीवन सफल हो जाएगा नशा और क्रोध की हालत में फैसले कभी मत लो।