शराब नहीं संस्कार: टिहरी जिले में सामाजिक बदलाव की मिसाल
टिहरी गढ़वाल । चंबा ब्लॉक की साक्षी अंजना और प्रतापनगर के जयदीप ने अपनी शादियों में शराब नहीं परोसने का निर्णय लेकर समाज में नई मिसाल कायम की। इनकी शादी में “शराब नहीं, संस्कार” मुहिम के तहत कॉकटेल पार्टी पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहा। इस सराहनीय कदम के लिए दोनों वर-वधु को प्रशस्ति पत्र और पारंपरिक पिठांई देकर सम्मानित किया गया।
50 गांवों में शराबबंदी का संकल्प
टिहरी जिले के 50 से अधिक गांवों ने सार्वजनिक और मांगलिक कार्यक्रमों में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का सामूहिक निर्णय लिया है। इन गांवों में शराब पीने या पिलाने पर अर्थदंड लगाया जाएगा। इस मुहिम को सफल बनाने में प्रतापनगर के देवी सिंह पंवार, घनसाली के केशर सिंह रावत, और शिक्षक राकेश उनियाल का योगदान उल्लेखनीय रहा।
साक्षी, अंजना, और जयदीप का सराहनीय कदम
साक्षी अंजना ने अपनी शादी में शराब न परोसने का निर्णय लिया। इस पहल में उनके शिक्षक चाचा-चाची सुबोध और विनीता बहुगुणा ने पूरा सहयोग दिया।
अंजना (देवरी मल्ली) की शादी में भी “शराब नहीं, संस्कार” मुहिम को अपनाया गया। ग्राम प्रधान विनीता सुयाल ने इस निर्णय में अहम भूमिका निभाई।
जयदीप (पंडर गांव) ने भी अपनी शादी में कॉकटेल पार्टी का बहिष्कार करते हुए मुहिम को समर्थन दिया।
सामाजिक संगठनों की सराहना
“शराब नहीं, संस्कार” मुहिम की सफलता पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों ने हर्ष व्यक्त किया। देवरी मल्ली के विनोद सुयाल, अनीता महावीर तिवाड़ी, साबली के रेखा और अशोक किरन, निर्मला भूदेव सकलानी, अनिला दर्शनलाल खंडूड़ी, अनिता देवी, और हिमानी ने इस मुहिम को सराहा।
इस बदलाव को साकार करने में समाजसेवी सुशील बहुगुणा और रॉड्स के कार्यकर्ता कुंभी बाला भट्ट, लक्ष्मी बहुगुणा, बालकृष्ण भट्ट, अजय रावत, और अन्य कार्यकर्ताओं का योगदान प्रमुख रहा।
नए दौर की शुरुआत
“शराब नहीं, संस्कार” मुहिम न केवल टिहरी जिले में बल्कि पूरे उत्तराखंड में सामाजिक चेतना का प्रतीक बन रही है। यह पहल समाज को नई दिशा देने के साथ ही पारंपरिक मूल्यों को भी सहेजने का कार्य कर रही है।